₹50,000 की लकड़ी रातों-रात बंगाल भेजी? अधिकारी और स्कूल कमेटी एक-दूसरे पर डाल रहे हैं ठीकरा
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| ऊपर स्कूल नीचे पड़ा लकड़ी का बोटा |
क्या है पूरा मामला?
* सुरक्षा के मद्देनजर : बताया जाता है कि विद्यालय परिसर में स्थित सेमल के विशाल पेड़ को सुरक्षा की दृष्टि से काटने के लिए विद्यालय प्रबंधन की ओर से सीओ सिल्ली से अनुमति मांगी गई थी।
* अनुमति मिली : अंचलाधिकारी (CO) से अनुमति मिलने के बाद पेड़ को काटा गया और उसे बड़े-बड़े बोटे के रूप में बदल दिया गया।
* अजीबोगरीब 'चोरी' : सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि स्कूल का मेन गेट बंद होने के बावजूद रातों-रात लकड़ी के बोटों को उठा लिया गया और इसकी भनक किसी को नहीं लगी।
* अनुमानित कीमीत : गायब हुए बोटे की कीमत लगभग ₹50,000 बताई जा रही है।
जिम्मेदार कौन? 'ब्लेम गेम' शुरू
मामला सामने आने के बाद जब संबंधित अधिकारियों और स्कूल मैनेजमेंट कमेटी (SMC) से पूछताछ की गई, तो सभी ने एक-दूसरे पर दोष मढ़ दिया। पढ़िए किसने क्या कहा...
* अंचलाधिकारी (सिल्ली) ने कहा "हमने केवल पेड़ काटने की अनुमति दी थी, पेड़ हटाने की नहीं।"
* वन विभाग अधिकारी बोले -"मुझे इस मामले की कोई जानकारी नहीं है।"
* प्रधानाध्यापक (शिलानंद केरकेट्टा) ने कहा "विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष रमेश महतो से पूछिए।"
* स्कूल अध्यक्ष (रमेश महतो) ने कहा "स्कूल के प्रधानाध्यापक से पूछिए।"
उठते सवाल और गांव में चर्चा
* ताला बंद था तो बोटा गया कहां? सबसे बड़ा सवाल यही है कि विद्यालय के मेन गेट पर ताला लगा होने के बावजूद इतना बड़ा बोटा कैसे और किसकी मिलीभगत से गायब हुआ?
* मिलीभगत का संदेह : स्थानीय चर्चा के अनुसार, जिम्मेदारों के साथ-साथ कांटाडीह के एक ग्रामीण और कुछ तथाकथित पत्रकारों की मिलीभगत से इस पेड़ को रातों-रात बेच दिया गया है।
* स्थानीय लोगों में गुस्सा: स्थानीय निवासियों का कहना है कि पेड़ काटा जाना ठीक था, लेकिन उसे चुपके से बेच देना गलत है। उनका मानना है कि अगर बेचा ही गया था, तो उस पैसे को स्कूल के विकास कार्यों में इस्तेमाल किया जाना चाहिए था। इस मामले में पारदर्शिता और सख्त कार्रवाई की मांग तेज हो गई है।

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