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| काम बंद कराने पहुंचे झामुमो कार्यकर्ता। |
सबसे बड़ा सवाल: शिलान्यास किसने किया?
मामले की सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि लाखों की लागत से बनने वाले इस अस्पताल का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है, लेकिन शिलान्यास किसने किया इसकी जानकारी स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों तक को नहीं है!
कार्यकर्ताओं का कहना है कि ऐसा प्रतीत होता है जैसे निर्माण कार्य को "गुपचुप तरीके" से शुरू करा दिया गया हो, ताकि अनियमितताओं को बिना किसी रोक-टोक के अंजाम दिया जा सके। सरकार के जिम्मेदारों को भी इस महत्वपूर्ण परियोजना के आरंभ की जानकारी न होना पूरी प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
घटिया सामग्री के इस्तेमाल पर विरोध
स्थानीय झामुमो कार्यकर्ताओं ने निर्माण स्थल पर घटिया गिट्टी, बेंगर सीमेंट और कमजोर सामग्री के इस्तेमाल पर कड़ा विरोध दर्ज कराया। झामुमो प्रखंड अध्यक्ष मजीद अंसारी ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा, "यह अस्पताल जनता के पैसे से बन रहा है, लेकिन गुणवत्ता ऐसी है जैसे किसी कच्चे मकान का निर्माण हो रहा हो।"
झामुमो ने रोका काम, इंजीनियर से मांगा स्पष्टीकरण
झामुमो प्रखंड अध्यक्ष मजीद अंसारी, जिला युवा मोर्चा कोषाध्यक्ष राजू अंसारी, पंचायत समिति सदस्य बद्री राम सहित दर्जनों कार्यकर्ताओं ने एकजुट होकर निर्माण कार्य को तत्काल रोक दिया।
कार्यकर्ताओं ने यह निर्णय लिया है कि जब तक कनीय अभियंता और संवेदक मौके पर आकर निर्माण कार्य में हो रही गड़बड़ी और शिलान्यास की स्थिति पर स्पष्ट सफाई नहीं देंगे, तब तक काम शुरू नहीं होगा।
कनीय अभियंता की स्वीकारोक्ति
इस मामले में जब कनीय अभियंता जयप्रकाश आनंद से बात की गई, तो उन्होंने स्वीकार किया कि उन्हें विरोध की जानकारी मिली है। उन्होंने कहा, "झामुमो कार्यकर्ताओं ने अनियमितता की सूचना दी है। मामले को संज्ञान में लेकर सुधार किया जाएगा।"
कार्यकर्ताओं का आरोप है कि इंजीनियर और संवेदक मिलकर जनता के पैसे की लूट मचा रहे हैं। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है और कब यह स्पष्ट हो पाता है कि इस सरकारी अस्पताल का शिलान्यास आखिर किस आधार पर और किसके द्वारा किया गया था।

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