GA4-314340326 दिशोम गुरु शिबू सोरेन पंचतत्व में विलीन, सीएम ने दी मुखाग्नि

दिशोम गुरु शिबू सोरेन पंचतत्व में विलीन, सीएम ने दी मुखाग्नि

* दिशोम गुरु दिवंगत  शिबू सोरेन का रामगढ़ जिले के गोला प्रखंड स्थित पैतृक गांव नेमरा में हुआ अंतिम संस्कार
 * मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने पिता के पार्थिव शरीर को  पारंपरिक रीति-रिवाज एवं रस्म के साथ दी मुखाग्नि
 * दिवंगत शिबू सोरेन के अंतिम दर्शन एवं अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए राज्य के अलग-अलग कोनों से हजारों की संख्या में पहुंचे थे लोग
 * राज्य की जनता ने नम आंखों और व्यथित मन से शिबू सोरेन को किया नमन, दी भावभीनी श्रद्धांजलि

पिता के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि देते सीएम हेमंत सोरेन।
Ranchi: पूर्व मुख्यमंत्री, राज्यसभा सांसद और झामुमो के संस्थापक दिशोम गुरु शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर मंगलवार को पंचतत्व में विलीन हो गया। इसी के साथ झारखंड में एक युग का अवसान हो गया। रामगढ़ जिले के गोला प्रखंड स्थित पैतृक गांव नेमरा में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार संपन्न हुआ। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पिता को मुखाग्नि दी। इस दौरान हर किसी की आंखें नम थीं। इससे पहले रांची के मोरहाबादी स्थित आवास से पार्थिव शरीर नेमरा में अंतिम दर्शनार्थ रखा गया। यहां  हजारों-हज़ार की संख्या में लोगों ने भावुक और नम आंखों से  "गुरुजी" को अंतिम विदाई दी। 

देखिए वीडियो 


अंतिम जोहार के लिए उमड़ा जन सैलाब 

क्या आम और क्या खास, दिवंगत शिबू सोरेन के अंतिम जोहार के लिए नेमरा गांव में जन सैलाब उमड़ पड़ा था। राज्य के अलग-अलग कोनों से लोग अपने प्रिय नेता का आखिरी दर्शन करने आए थे। इनमें अति विशिष्ट व्यक्ति से लेकर आम जन तक, हर कोई शामिल था। हर किसी  ने झारखंड राज्य के प्रणेता, पथ प्रदर्शक औऱ मार्गदर्शक  दिशोम गुरु जी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान हर किसी का दिल उदास, व्यथित और आंखें नम थी।

रो पड़ा पूरा नेमरा

यूं तो दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन की जानकारी मिलने के बाद से ही उनके पैतृक गांव नेमरा में उदासी और सन्नाटा पसर चुका था। हर कोई गमगीन था। घरों में चूल्हे तक नहीं जले थे। वहीं, आज जैसे ही उनका पार्थिव शरीर  पैतृक आवास पहुंचा, पूरा नेमरा रो उठा। परिजन एवं सगे- संबंधी समेत राज्य के दूर दराज से आए लोगों की आंखों से आंसू छलक रहे थे। सभी ने दिशोम गुरु को  नमन कर अन्तिम विदाई दी।

श्मशान घाट पर हेमंत सोरेन ढांढस बंधाते राहुल गांधी और तेजस्वी यादव।

राहुल गांधी, खड़गे घाट पर पहुंचे

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजद के तेजस्वी यादव सहित कई नेता अंतिम संस्कार में सम्मिलित हुए। उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं परिजनों से मिलकर अपनी संवेदना जताई। 

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हेमंत सोरेन ने एक्स पर लिखा...

मैं अपने जीवन के सबसे कठिन दिनों से गुज़र रहा हूँ। 
मेरे सिर से सिर्फ पिता का साया नहीं गया,
झारखंड की आत्मा का स्तंभ चला गया।
मैं उन्हें सिर्फ ‘बाबा’ नहीं कहता था 
वे मेरे पथप्रदर्शक थे, मेरे विचारों की जड़ें थे,
और उस जंगल जैसी छाया थे
जिसने हजारों-लाखों झारखंडियों को
धूप और अन्याय से बचाया।
मेरे बाबा की शुरुआत बहुत साधारण थी।
नेमरा गांव के उस छोटे से घर में जन्मे,
जहाँ गरीबी थी, भूख थी, पर हिम्मत थी।
बचपन में ही उन्होंने अपने पिता को खो दिया 
जमींदारी के शोषण ने उन्हें एक ऐसी आग दी
जिसने उन्हें पूरी जिंदगी संघर्षशील बना दिया।
मैंने उन्हें देखा है 
हल चलाते हुए,
लोगों के बीच बैठते हुए,
सिर्फ भाषण नहीं देते थे,
लोगों का दुःख जीते थे।
बचपन में जब मैं उनसे पूछता था: 
“बाबा, आपको लोग दिशोम गुरु क्यों कहते हैं?”
तो वे मुस्कुराकर कहते: 
“क्योंकि बेटा, मैंने सिर्फ उनका दुख समझा 
और उनकी लड़ाई अपनी बना ली।”
वो उपाधि न किसी किताब में लिखी गई थी,
न संसद ने दी - 
झारखंड की जनता के दिलों से निकली थी।
‘दिशोम’ मतलब समाज,
‘गुरु’ मतलब जो रास्ता दिखाए।
और सच कहूं तो 
बाबा ने हमें सिर्फ रास्ता नहीं दिखाया,
हमें चलना सिखाया।
बचपन में मैंने उन्हें सिर्फ़ संघर्ष करते देखा, 
बड़े बड़ों से टक्कर लेते देखा 
मैं डरता था, पर बाबा कभी नहीं डरे।
वे कहते थे:
 “अगर अन्याय के खिलाफ खड़ा होना अपराध है,
तो मैं बार-बार दोषी बनूंगा।”
बाबा का संघर्ष कोई किताब नहीं समझा सकती।
वो उनके पसीने में, उनकी आवाज़ में, और उनकी चप्पल से ढकी फटी एड़ी में था।
जब झारखंड राज्य बना, तो उनका सपना साकार हुआ 
पर उन्होंने कभी सत्ता को उपलब्धि नहीं माना।
उन्होंने कहा: “ये राज्य मेरे लिए कुर्सी नहीं 
यह मेरे लोगों की पहचान है।”
आज बाबा नहीं हैं,
पर उनकी आवाज़ मेरे भीतर गूंज रही है।
मैंने आपसे लड़ना सीखा बाबा,
झुकना नहीं।
मैंने आपसे झारखंड से प्रेम करना सीखा 
बिना किसी स्वार्थ के।
अब आप हमारे बीच नहीं हो,
पर झारखंड की हर पगडंडी में आप हो।
हर मांदर की थाप में,
हर खेत की मिट्टी में,
हर गरीब की आंखों में आप झांकते हो।
आपने जो सपना देखा 
अब वो मेरा वादा है।
मैं झारखंड को झुकने नहीं दूंगा,
आपके नाम को मिटने नहीं दूंगा।
आपका संघर्ष अधूरा नहीं रहेगा।
बाबा, अब आप आराम कीजिए।
आपने अपना धर्म निभा दिया।
अब हमें चलना है 
आपके नक्शे-कदम पर।
झारखंड आपका कर्ज़दार रहेगा।
मैं, आपका बेटा,
आपका वचन निभाऊंगा।
वीर शिबू जिंदाबाद - ज़िन्दाबाद, जिंदाबाद 
दिशोम गुरु अमर रहें।
जय झारखंड, जय जय झारखंड।


Dishom Guru Shibu Soren merged into the five elements, CM lit the funeral pyre



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