पंडितजी ने नैतिक मूल्यों पर दिया जोर : अशोकानंद झा 

Deoghar : अपने जमाने में शिक्षा का अलख जगाने वाले महान शिक्षाविद स्व.नरसिंह पंडित की 22 वीं पुण्यतिथि बुधवार को मनाई गई। हिंदी विद्यापीठ में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि संस्थान के व्यवस्थापक अशोकानंद झा ने पंडित जी की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। तत्पश्चात अपने संबोधन में कहा कि मुझे भी नरसिंह पंडित जी से शिक्षा ग्रहण करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। पंडित जी से हमारा पारिवारिक संबंध रहा है। उन्होंने मेरे पिता स्व.कृष्णानंद झा को शिक्षा प्रदान करने के बाद मुझे व मेरे पुत्र को भी आशीर्वाद प्रदान किया है। उनका व्यक्तित्व महान था। उन्होंने हमेशा नैतिक मूल्यों का निर्वहन किया। पंडित जी का हिंदी विद्यापीठ के प्रति लगाव भी जगजाहिर है। उनके कार्य हमेशा प्रशंसनीय रहे। बीएड कॉलेज की प्राचार्या डॉ.आशा मिश्रा ने पंडित जी को महान विभूति बताया। साथ ही कहा कि पंडित जी ने हमेशा सादा जीवन जीते हुए विद्यादान किया। वहीं गोवर्धन साहित्य महाविद्यालय के शिक्षक नीतीश द्वारी ने कहा कि पंडित जी शिष्यों को पढ़ाने में सात्विक आनंद की अनुभूति करते थे। उन्होंने कभी भी अर्थ को महत्व नहीं दिया। साहित्य प्रेस के प्रबंधक हिमांशु झा ने स्व.नरसिंह पण्डित एवं पूर्व व्यवस्थापक पूर्व मंत्री स्व.कृष्णानंद झा की गुरु शिष्य परंपरा को लोगों के लिए उदाहरण बताया। इस बीच पंडित जी के पुत्रद्वय क्रमशः मुनेंद्र पंडित एवं बीरेंद्र पंडित ने अपने स्व.पिता पंडित जी की जीवनी पर प्रकाश डाला। साथ ही कहा कि पंडित जी की जन्मभूमि मुंगेर (बिहार) थी। कालांतर में वे स्वतंत्रता सेनानी पंडित विनोदानंद झा के संपर्क में आने के बाद देवघर आ गए। बाद में देवघर उनकी कर्मभूमि बन गयी। कार्यक्रम के आरंभ में आयोजनकर्ता गोवर्धन साहित्य महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. संजय खवाड़े ने आगत अतिथियों का स्वागत किया। साथ ही दिवंगत प्राचार्य स्व.पंडित जी के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हुए की अपने ज्ञान का छात्रों में सफल समावेश करने वाले शिक्षक हमेशा पूजनीय रहते हैं। स्व.नरसिंह पंडित जी वैसे ही शिक्षक के सर्वोत्तम उदाहरण हैं। इस अवसर पर हिंदी विद्यापीठ, बीएड कॉलेज एवं गोवर्धन साहित्य महाविद्यालय के तमाम शिक्षक व कर्मचारी समेत संस्थान के मीडिया प्रभारी शम्भू सहाय मुख्य रूप से उपस्थित थे।
Late educationist Narsingh Pandit remembered on his death anniversary
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