GA4-314340326 गिरिडीह नगर निगम के नोटिस से दुकानदारों में रोष, दी आंदोलन की चेतावनी

गिरिडीह नगर निगम के नोटिस से दुकानदारों में रोष, दी आंदोलन की चेतावनी

निगम का नोटिस दिखाते दुकानदार।
गिरिडीह (झारखंड): नगर निगम द्वारा एक बार फिर 45 दुकानदारों को दुकान खाली करने का नोटिस थमाए जाने के बाद स्थानीय व्यापारियों में तीव्र आक्रोश है। दुकानदारों ने इस कार्रवाई को अन्यायपूर्ण बताते हुए निर्णय लिया है कि वे अब अपनी दुकानों को बचाने के लिए 24 घंटे वहीं डटे रहेंगे। व्यापारियों ने स्पष्ट किया कि वे इस मुद्दे पर मंत्री, उपायुक्त (DC), एसडीएम और नगर निगम के अधिकारियों से वार्ता करेंगे और जरूरत पड़ने पर लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन करेंगे। विरोध प्रदर्शन में मुख्य रूप से मनोज केसरी, प्रिय रंजन चौधरी, सुनील केसरी, पंकज तरवे, शम्मा परवीन, असीम जफर, अनिल देव, कमलजीत कौर, अब्दुल कलाम, बलविंदर सिंह, किशोर कुमार, अजीत कुमार, मनीष कुमार, मुन्ना मिस्त्री, धनंजय कुमार समेत दर्जनों व्यापारी शामिल थे।

भाकपा माले ने किया समर्थन

दुकानदारों के समर्थन में पहुंचे भाकपा माले नेता राजेश सिन्हा ने नगर निगम की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इस मार्केट का निर्माण और आवंटन नगर निगम ने लगभग तीन दशक पहले किया था। निगम के निर्देशों में निरंतर विरोधाभास रहा है। कभी छज्जा हटाने, कभी तीन फीट तोड़ने, तो कभी पूरी दुकान हटाने का नोटिस दिया जाता है। नया नोटिस कहता है कि टूटी हुई दुकानों में अब दोबारा काम नहीं होगा, जो दुकानदारों के साथ अन्याय है।

भेदभाव और भूमि विवाद का आरोप

राजेश सिन्हा ने आरोप लगाया कि सड़क चौड़ीकरण मात्र एक बहाना है। असली मामला पुराने जेल परिसर के सामने की जमीन को खाली कराने का है। उन्होंने कहा कि अगर वास्तव में चौड़ीकरण का लक्ष्य होता, तो जेपी चौक से कल्याणडीह तक सड़क की चौड़ाई एक समान होती, लेकिन वर्तमान में यह कहीं कम तो कहीं ज्यादा है। उन्होंने आरोप लगाया कि रसूखदार लोगों की दुकानों को बचाकर छोटे व्यापारियों को निशाना बनाया जा रहा है।

दुकानदारों के प्रमुख सवाल और मांगें

आंदोलनकारी दुकानदारों ने नगर निगम की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा-

 * नया एग्रीमेंट: जब अतिक्रमण हटाना ही था, तो सात महीने पहले ही निगम ने कई लोगों के साथ सात वर्षों का नया एग्रीमेंट क्यों किया?

 * आर्थिक क्षति: बार-बार नोटिस और तोड़-फोड़ से व्यापारियों को भारी मानसिक और आर्थिक नुकसान हो रहा है।

 * मुआवजे की मांग: दुकानदारों ने मांग की है कि उन्हें हुए आर्थिक नुकसान और मानसिक कष्ट के लिए उचित मुआवजा दिया जाए।


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