GA4-314340326 गिरिडीह में भाकपा (माओवादी) को बड़ा झटका, एरिया कमांडर पत्नी समेत किया सरेंडर

गिरिडीह में भाकपा (माओवादी) को बड़ा झटका, एरिया कमांडर पत्नी समेत किया सरेंडर

 एरिया कमांडर शिवलाल हेम्ब्रम और पत्नी सरिता हांसदा ने किया आत्मसमर्पण

सेरेंडर करने के बाद शिवलाल हेम्ब्रम व उसकी पत्नी सरिता।
ब्यूरो चीफ /​ गिरिडीह : झारखंड में नक्सलवाद को कमजोर करने की दिशा में एक बड़ी सफलता मिली है। राज्य सरकार की प्रभावी आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति "नई दिशा – एक नई पहल" से प्रभावित होकर भाकपा (माओवादी) संगठन के सक्रिय एरिया कमेटी सदस्य शिवलाल हेम्ब्रम उर्फ शिवा और उनकी पत्नी, दस्ता सदस्य सरिता हांसदा उर्फ उर्मिला ने बुधवार को गिरिडीह पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। मौके पर पुलिस अधीक्षक और उपायुक्त समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

​कौन हैं आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली?

​शिवलाल हेम्ब्रम (25 वर्ष), निवासी टेसाफुली, मधुबन, वर्ष 2017 में नक्सली संगठन से जुड़ा था। वह संतरी और रसोइए से पदोन्नत होकर 2022 में एरिया कमेटी सदस्य बन गया था। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, वह विस्फोटक छिपाने, लेवी वसूली और पुलिस पर हमलों सहित 11 गंभीर नक्सली मामलों में वांछित था। उनकी पत्नी, सरिता हांसदा (19 वर्ष), वर्ष 2020 में जया दी के माध्यम से संगठन में शामिल हुई थी।

​आत्मसमर्पण का कारण और पुलिस की भूमिका

​पुलिस सूत्रों के मुताबिक, शीर्ष कमांडरों द्वारा शोषण, ग्रामीणों पर अत्याचार और पुलिस की लगातार कार्रवाई से भयभीत होकर दोनों ने संगठन छोड़ने का मन बनाया। गिरिडीह पुलिस लगातार उनके परिजनों के संपर्क में थी और उन्हें मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित कर रही थी।

​पुलिस अधीक्षक ने कहा कि इस दोहरे भाकपा माओवादी आत्मसमर्पण से संगठन की कमर टूटेगी और यह अन्य भटके हुए माओवादियों को भी झारखंड आत्मसमर्पण नीति का लाभ लेकर समाज की मुख्यधारा से जुड़ने के लिए प्रेरित करेगा। यह घटना नक्सल उन्मूलन के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम है।

पुनर्वास के लाभ : आत्मसमर्पण के बाद, शिवलाल और सरिता को झारखंड सरकार की पुनर्वास नीति के तहत सभी आवश्यक लाभ दिए जाएंगे, जिससे वे हिंसा का रास्ता छोड़कर सम्मानजनक जीवन व्यतीत कर सकें।

​एके न में मुख्य जानकारी

आत्मसमर्पण: भाकपा (माओवादी) एरिया कमेटी सदस्य शिवलाल हेम्ब्रम और पत्नी सरिता हांसदा।

स्थान: गिरिडीह, झारखंड।

प्रेरक नीति: "नई दिशा – एक नई पहल"।

महत्व: नक्सलवाद को बड़ा झटका, नक्सली आत्मसमर्पण में बड़ी सफलता।




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