GA4-314340326 सिल्ली में बालू पर सियासत : पुलिस को सौंपे गए 6 वाहन, केस हुआ सिर्फ 4 पर

सिल्ली में बालू पर सियासत : पुलिस को सौंपे गए 6 वाहन, केस हुआ सिर्फ 4 पर

सिल्ली थाने में दर्ज एफआईआर की कॉपी।
Silli (Ranchi) : झारखंड गठन के बाद राज्य की सत्ता में भागीदार लोगों द्वारा जनता से एक बार नहीं कई बार सिल्ली को दिल्ली बनाने का वादा किया गया। लेकिन, इस वादे की आड़ में सिल्ली को दिल्ली की जगह बालू के अवैध सिंडिकेट का केंद्र जरूर बना दिया गया। आज यहां की सियासत बालू पर चलती है। नेता किसी भी दल का क्यों न हो, उसे उसकी हैसियत के मुताबिक हिस्सा मिलता है, तो वह शांत रहता है, नहीं तो आये दिन सड़क पर उतर कर आंदोलन का नाटक करता रहता है। नेताओं के साथ-साथ उनके चमचे-बेलचे भी बालू की अवैध कमाई से लाल हो गए हैं या हो रहे हैं। और हो भी क्यों नहीं, क्योंकि नेता को राजनीतिक करनी है। विधायक-मंत्री बनना है, जबकि चमचा-बेलचा को यहीं से रुपए कमाने हैं। 

लोग पूछ रहे किसके दबाव में छोड़े गए दो वाहन

सोमवार की रात को एक वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें देखा जा रहा कि रात के अंधेरे में कभी सत्ता में नंबर दो की हैसियत रखनेवाले एक बड़े नेताजी बालू का अवैध परिवहन रोकने के लिए सड़क पर उतरे हैं। कह रहे हैं कि एनजीटी की रोक के बाबजूद नदियों से कैसे बालू का उठाव हो रहा है। वीडियो में जेएलकेएम का एक युवा नेता उनसे सवाल-जवाब करता दिख रहा है। इसके बाद बड़े नेताजी ने दो हाइवा और चार टिपर ट्रबो को पकड़ कर सिल्ली पुलिस के हवाले कर देते हैं। लेकिन, जब पुलिस प्राथमिकी दर्ज करती है, तो वह उसमें चार गाड़ी की ही जिक्र करती है। दो वाहन को रहम करके उन्हें थाने से ही छोड़ देती है। इसके बाद आगे की कार्रवाई के लिए वह फाइल खनन विभाग को भेज देती है। अब लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर दो टिपर ट्रबो को किसके दबाव में छोड़ दिया गया?

सिंडिकेट चला रहा बालू का बाजार 

सिल्ली में बालू का अवैध बाजार डेढ़-दो दशक से चल रहा है। दिन में लेन-देन होता है। रात के अंधेरे में बाजार सजता है। सैकड़ों की हाइव, ट्रबो व ट्रैक्टर जुटते हैं, रातभर में जो जितना पैसा जमा किए रहता है, उतना बालू उठा लेता है। क्योंकि, अगले दिन सुबह क्या होगा यह कोई नहीं जानता। बताया जा रहै कि पिछले छह साल से इस अबैध सिंडिकेट को सिंहजी, झाजी और महतोजी की तिकड़ी चला रही है। नदी में बालू लोड होने से पहले वाहन मालिक इनके पास 22500 रुपए जमा कराते हैं, तब जाकर बालू के बाजार में एक राती के लिए एंट्री होती है। इसी पैसे में से नीचे से लेकर ऊपर तक सबको हिस्सा पहुंचाया जाता है। इसके बाद यही बालू रांची में आकर 40 से 60 हजार रुपए तक में बिक जाता है।


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