GA4-314340326 तीर्थ पुरोहितों संग कैलाशानंद पहुंचे जंगल, तोड़े बेलपत्र, बाबा बैद्यनाथ को करेंगे अर्पित

तीर्थ पुरोहितों संग कैलाशानंद पहुंचे जंगल, तोड़े बेलपत्र, बाबा बैद्यनाथ को करेंगे अर्पित

* सिमुलतला का टेलवा पहाड़ जंगल से तोड़े बेलपत्र 

जंगल में बेलपत्र तोड़ने पहुंचे स्वामी कैलाशानंद।
Deoghar: चार दिवसीय झारखंड-बिहार दौरे पर देवनगरी आए निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि जी महाराज देवघरिया संस्कृति में पूरी तरह से रमे दिखे। शुक्रवार को लाठी-साजी लेकर तीर्थ पुरोहितों की टोली के साथ स्वामी जी जंगल यात्रा पर निकले प़ड़े। सिमुललत्ता के टेलवा पहाड़ के घने जंगलों में जाकर उन्होंने बेलपतरिए की तरह बिल्वपत्र तोड़ा। शनिवार को वे बाबा बैद्यनाथ पर जंगल से तोड़े गए बिल्वपत्र को अर्पित करेंगे। जंगल से बिल्वपत्र लाकर बाबा बैद्यनाथ पर अर्पित करने की परंपरा यहां काफी पुरानी है। इसकी शुरूआत देवघर के महान संत बम-बम बाबा ब्रह्मचारी ने की थी और तब से इस परंपरा का निर्वहन स्थानीय तीर्थपुरोहितों कर रहे हैं। क्योंकि शिव को बिल्वपत्र काफी प्रिय हैं। कैलाशानंद गिरि के साथ जंगल यात्रा में पंडा धर्मरक्षिणी सभा के महामंत्री निर्मल झा मंटू, उनके कुल पुरोहित परिवार के सुशील पलिवार, धीरज पलिवार, झलकु मिश्रा सहित अन्य तीर्थ पुरोहित शामिल थे। इस दौरान वैदिक मंत्रोच्चार के बीच कैलाशानंद गिरि जी महाराज ने बिल्वपत्र तोड़ा और उसके महत्व के बारे में भी बताया। पुरोहितों के साथ बिल्वपत्र यात्रा के दौरान कैलाशानंद गिरि के सुरक्षाकर्मी व शिष्य भी साथ चल रहे थे। 

शिव को बेलपत्र चढ़ाने ने से  3 जन्म के पापों से मुक्ति

जंगल यात्रा के दौरान बेलपत्र को महत्व बताते  हुए निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि ने कहा कि जो भी भक्त पवित्र मन से त्रिनेत्र आकर के बिल्वपत्र तोड़कर भगवान शिव को अर्पित करता है तो उसे करोड़ों कन्यादान का फल व तीन जन्मों के पापों से मुक्ति भी मिल जाती है। धर्म शास्त्रों में भी बिल्वपत्र के महत्व का वर्णन मिलता है।  उन्होंने कहा कि पंडा धर्मरक्षिणी सभा के महामंत्री निर्मल झा ने जिस प्रकार शबरी ने श्रीराम के लिए चुन-चुन कर बेर दिए थे, उसी प्रकार उन्हें चुन-चुनकर त्रिनेत्र आकर के सैकड़ों बिल्वपत्र बाबा बैद्यनाथ पर अर्पण करने के लिए तोड़ने में मदद की। कैलाशानंद गिरि ने कहा कि देवघर के पुरोहितगण हमेशा ही घने जंगलों से बिल्वपत्र तोड़कर बाबा बैद्यनाथ को अर्पित करते आ रहे हैं। तोड़े गए बिल्वपत्र शनिवार को बाबा बैद्यनाथ को अर्पित करने के बाद आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि जी महाराज उत्तराखंड के लिए रवाना हो जाएंगे। 

आज बैद्यनाथ को बेलपत्र अर्पित करेंगे महामंडलेश्वर

महामंडलेश्वर जंगल यात्रा के बाद बिहार के जमुई में आश्रम का उद्घाटन करने रवाना हो गए। बताते चलें कि निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि जी महाराज बुधवार को चार्टर प्लेन से बाबानगरी पहुंचे थे। महामंडलेश्वर ने अपने प्रवास के दूसरे दिन गुरुवार को विधि-विधान पूर्वक बाबा बैैद्यनाथ की पूजा-अर्चना कर विश्व कल्याण की कामना की थी। तीसरे दिन शुक्रवार को जंगल यात्रा के क्रम में बिल्वपत्र तोड़कर आश्रम उद्घाटन करने जमुई पहुंचे। पुन: वहां से देवघर आकर प्रवास के अंतिम दिन शनिवार को बाबा वैद्यनाथ पर तोड़े गए बिल्वपत्र अर्पण करने के बाद विशेष विमान से उत्तराखंड रवाना हो जाएंगे।




Kailashananda reached the jungle with the pilgrim priests, plucked the Belpatra and will offer it to Baba Baidyanath


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