फोटो: सोमा उरांव, प्रवक्ता जनजाति सुरक्षा मंच झारखंड प्रदेश। KANKE NEWS,(RANCHI)। जनजाति सुरक्षा मंच झारखंड प्रदेश के मीडिया प्रभारी सोमा उरांव ने सीएम हेमंत सोरेन को एक पत्र लिखकर चार मांगे रखी हैं। उन्होंने राज्य के विधानसभा से डीलिस्टिंग बिल यथाशीघ्र पास करा कर राज्यपाल के माध्यम से केंद्र सरकार को भेजने का आग्रह किया है। साथ ही केंद्र सरकार से भी इस डीलिस्टिंग बिल को अतिशीघ्र पास कराने का आग्रह किया है। उन्होंने लिखा है कि जनजाति समाज के वैसे लोग जो अपनी रुढ़ि प्रथा, संस्कृति, परंपरा छोड़कर ईसाई या इस्लाम धर्म अपना लिए हैं, उनको अनुसूचित जनजाति के आरक्षण का लाभ मिलना बंद होना चाहिए। साथ ही वर्तमान समय में निर्गत किए जा रहे जाति प्रमाण पत्र में पिता के नाम के साथ पति का नाम भी दर्ज होना चाहिए है। कहा कि पूर्व में कैबिनेट से पारित एक पत्र की गड़बड़ी के आड़ में अभी जनजाति समाज कि महिलाएं जो दूसरे समाज के पुरुषों से विवाह करती हैं, वे अपने मायके से जाति प्रमाण पत्र बनवा कर आरक्षण का गलत ढंग से लाभ ले रही हैं। धर्मांतरित होने के बाद भी वे नौकरी, जमीन की खरीद बिक्री, सरकार से जनजाति समुदाय को देय अन्य योजनाओं, मुखिया, प्रमुख, जिला परिषद, विधानसभा एवं लोकसभा की सीट पर काबिज हो कर इसका लाभ ले रही हैं। कहा कि इस कारण बांग्लादेशी घुसपैठिए भी जनजाति समाज कि महिलाओं से विवाह कर राज्य में हावी हो रहे हैं। उन्होंने नए सिरे से एक पत्र निर्गत करते हुए पिता और पति दोनों का नाम जाति प्रमाण पत्र में दर्ज किए जाने की मांग भी की है। सोमा उरांव ने राज्य में सीएनटी एवं एसपीटी एक्ट लागू होते हुए भी सादा पट्टा पर आदिवासी और भूईहरी जमीनों की खरीद बिक्री होने की बात कही है। उन्होंने सरकार से इस पर अविलंब रोक लगाने की मांग भी की है। उन्होंने देश में समान रूप से सिर्फ दो बच्चे की नीति अपना कर जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करने की मांग भी की है।
जनजाति सुरक्षा मंच ने सीएम से की डीलिस्टिंग बिल पास कराने की मांग
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