GA4-314340326 पिता झारखंड में कैबिनेट मंत्री, बेटा बिहार में लड़ रहा विधानसभा चुनाव

पिता झारखंड में कैबिनेट मंत्री, बेटा बिहार में लड़ रहा विधानसभा चुनाव

झारखंड की गठबंधन सरकार पर मंडराया संकट

रजनीश यादव 
रांची : झारखंड की हेमंत सोरेन के नेतृत्ववाली महागठबंधन सरकार में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) कोटे से कैबिनेट मंत्री संजय प्रसाद यादव ने अपने पुत्र रजनीश यादव को बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी का टिकट दिलाया है। इससे न केवल झारखंड की राजनीति में गर्माहट आ गई है, बल्कि सत्तारूढ़ गठबंधन (झामुमो-कांग्रेस-राजद) के समक्ष असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है। विपक्षी भाजपा ने इस पर कड़ा कटाक्ष किया है। पार्टी के पूर्व विधायक भानुप्रताप साही ने बिना नाम लिए एक्स पर पोस्ट कर चरित्र पर सवाल खड़ा किया है। इधर, बिहार विधानसभा चुनाव में झामुमो को कांग्रेस-राजद द्वारा सीटें नहीं दिए जाने से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन काफी नाराज हैं। झामुमो प्रवक्ता सुप्रीयो भट्टाचार्य ने तो यहां तक कह दिया है कि बिहार विधानसभा चुनाव के बाद झामुमो गठबंधन की समीक्षा करेगा। इसलिए, माना जा रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव के बाद संजय प्रसाद यादव की हेमंत कैबिनेट से छुट्टी तय है।

तेजस्वी यादव के करीबी हैं मंत्री 

संजय प्रसाद यादव को तेजस्वी यादव का करीबी माना जाता है, उनके पुत्र रजनीश यादव को बिहार के भागलपुर जिले की महत्वपूर्ण कहलगांव सीट से राजद ने टिकट दिया है। 

 भाई पहले से हैं बिहार में विधायक 

 संजय प्रसाद यादव स्वयं झारखंड के गोड्डा से विधायक और मंत्री हैं, जबकि उनके भाई मनोज यादव बिहार के बांका जिले की बेलहर सीट से जदयू के विधायक हैं। अब रजनीश यादव के कहलगांव से चुनाव लड़ने से यह परिवार तीन अलग-अलग सीटों पर राजनीतिक पकड़ बनाने की कोशिश कर रहा है, जो क्षेत्रीय राजनीति में उनके बढ़ते दबदबे को दर्शाता है।

 मंत्री संजय यादव को लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव का अत्यंत करीबी माना जाता है। रजनीश को टिकट मिलना दिखाता है कि राजद सुप्रीमो का परिवार झारखंड के अपने इस प्रमुख सहयोगी पर कितना भरोसा करता है। यह टिकट संजय यादव के राजनीतिक कद को बिहार में भी मजबूत करता है।

 बताते चलें कि कहलगांव सीट बिहार की एक प्रतिष्ठित सीट रही है। यह दिखाता है कि राजद ने इस सीट को कितनी गंभीरता से लिया है, जहां उसने एक ऐसे नेता के पुत्र को मौका दिया है जिसका झारखंड की राजनीति में भी गहरा प्रभाव है।

झारखंड सरकार और गठबंधन पर क्या पड़ेगा असर?

हालांकि, यह चुनाव बिहार का है, लेकिन इस घटनाक्रम का केंद्र झारखंड की सत्ता में बैठे मंत्री संजय प्रसाद यादव हैं।

 * राजद का सीमित प्रभाव: झारखंड में राजद के पास वर्तमान में सीमित विधायक संख्या है, लेकिन वह हेमंत सोरेन सरकार में एक महत्वपूर्ण सहयोगी है। राजद कोटे से अकेले संजय प्रसाद यादव मंत्री हैं। उनका बिहार के चुनाव में सक्रिय होना और अपने पुत्र को टिकट दिलाना, झारखंड में अपनी पार्टी के हित साधने की कवायद के रूप में देखा जा सकता है।

 * झामुमो-राजद संबंधों की कसौटी: झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और राजद के बीच संबंध अक्सर उतार-चढ़ाव वाले रहे हैं, खासकर सीटों के बंटवारे को लेकर। बिहार चुनाव में जब झारखंड के मंत्री का परिवार सीधे तौर पर शामिल होता है, तो यह राजद के राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व और झारखंड इकाई के बीच समन्वय को भी दर्शाता है।

 * भविष्य की संभावनाएं: यदि रजनीश यादव चुनाव जीतते हैं, तो यह सीधे तौर पर झारखंड के मंत्री के राजनीतिक प्रभाव की जीत होगी। झारखंड की राजनीति के गलियारों में अब इस बात पर चर्चा तेज है कि बिहार के ये चुनावी परिणाम मंत्री संजय यादव और झारखंड में राजद के भविष्य को किस तरह प्रभावित करेंगे।




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