GA4-314340326 मुरी में कुड़मी आंदोलनकारियों ने एक भी ट्रेन नहीं गुजरने दी

मुरी में कुड़मी आंदोलनकारियों ने एक भी ट्रेन नहीं गुजरने दी

मुरी स्टेशन पर वंदे भारत ट्रेन को रोक कर नारेबाजी करते आंदोलनकारी।
Anup Mahto / Silli (Ranchi): कुड़मी संगठनों के आह्वान पर रेल टेका डहर छेका आंदोलन शनिवार 20 सितंबर से शुरू हो गया। ये कुड़मी को आदिवासी (एसटी) की सूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। आंदोलनकारी सिल्ली थाना अंतर्गत मुरी रेलवे स्टेशन परिसर में सुबह ही बड़ी संख्या में पहुंच गए, इसके बाद सभी धनपति महतो के नेतृत्व में रेलवे ट्रैक पर जाकर धरने पर बैठ गए। रात लगभग 11 बजे के आसपास आंदोलनकारी ट्रैक से हटे, तब जाकर रेल सेवा पुनः बहाल हो सकी। इससे पूर्व राजधानी एक्सप्रेस समेत कई ट्रेनों को रद्द करना पड़ा। 

पुलिस ने JKLM के वरिष्ठ नेता राजू महतो समेत 68 लोगों को देर रात तक हिरासत में रखा 

सिल्ली-मुरी थाने की पुलिस ने आंदोलन को विफल करने के लिए JKLM के वरिष्ठ नेता और पार्टी के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव प्रभारी राजू महतो समेत 68 लोगों को हिरासत में ले लिया। बाकी लोगों को सिल्ली थाने में, जबकि राजू को मुरी थाने में रखा। देर रात सभी को पीआर बांड भरवा कर छोड़ दिया गया।

कई ट्रेनों के परिचालन प्रभावित

 दुर्गा पूजा से ठीक पहले शुरू हुए इस आंदोलन से लोग परेशान हैं। रांची-मुरी रूट पर चलने वाली कई ट्रेनें प्रभावित हुईं। रांची-पटना वंदे भारत को आंदोलनकारियों ने मुरी स्टेशन में ही रोक लिया। कई ट्रेनों को रद्द किया गया है, साथ ही कई ट्रेनों को डायवर्ट, ट्रेनों का आंशिक समापन और आंशिक प्रारंभ किया गया है, आंदोलनकारी ट्रैक पर बैठकर अपना विरोध जता रहे हैं।

 सुदेश बोले-कुड़मी समाज की मांग जायज 

मुरी स्टेशन में आंदोलनकारियों के समर्थन में आए आजसू पार्टी सुप्रीमो सुदेश महतो ने कहा कि आजसू लगातार कुड़मी समाज के साथ खड़ी रही है। कुड़मी समुदाय धैर्य के साथ विगत 90 वर्षों से अपने साथ हुए ऐतिहासिक अन्याय के खिलाफ लड़ता आ रहा है। इसके धैर्य की अब और परीक्षा नहीं ली जाए। अब समय आ गया है कि राज्य और केंद्र सरकार अविलंब फैसला लें। महतो ने कहा कि कुड़मी समुदाय ने अपनी ताकत दिखा दी है। कुड़मी को अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची में शामिल करने और कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में मान्यता दिलाने की  ऐतिहासिक मांग को लेकर झारखंड सहित आसपास के राज्यों में “रेल टेका–डहर छेका” आंदोलन का व्यापक रूप से सफल रहा है। उन्होंने कहा कि कुड़मी समाज को 1931 में एसटी सूची से बाहर कर दिया गया था। तब से यह समाज अपने अधिकारों की लड़ाई लगातार लड़ रहा है।









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