INDIA : जानिए ट्रम्प के टैरिफ का जवाब भारत टैरिफ से क्यों नहीं दे पा रहा। अमेरिकी मार्केट निर्भरता, कूटनीतिक संतुलन और भारतीय अर्थव्यवस्था की चुनौतियाँ ।
जानें इसके पीछे के 5 बड़े कारण
अंतरराष्ट्रीय व्यापार की दुनिया में टैरिफ एक बड़ा हथियार माने जाते हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने कार्यकाल में चीन, भारत और कई अन्य देशों पर भारी-भरकम टैरिफ लगाकर यह संदेश दिया कि
अमेरिका फर्स्ट सिर्फ़ एक नारा नहीं, बल्कि उनकी ठोस नीति है।
भारत भी ट्रम्प प्रशासन के टैरिफ का शिकार हुआ। लेकिन सवाल यह है कि —
भारत क्यों टैरिफ के ज़रिए इसका जवाब नहीं दे रहा?
टैरिफ क्या है और क्यों अहम है?
घरेलू इंडस्ट्री को बचाने का सबसे आसान तरीका।
विदेशी कंपनियों पर प्रतिस्पर्धात्मक दबाव।
कई बार एक राजनीतिक संदेश।
इसके पीछे कारण हैं :
1. अमेरिकी मार्केट पर निर्भरता : - भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार अमेरिका है। IT सेवाएँ, फार्मा इंडस्ट्री और टेक्सटाइल जैसे सेक्टर अमेरिकी मार्केट पर निर्भर हैं।
टैरिफ युद्ध में अमेरिका इन सेक्टरों को टारगेट कर सकता है।
2. कूटनीतिक संतुलन : - भारत एक साथ अमेरिका, रूस, यूरोप और एशिया में संबंध बनाए रखना चाहता है। टैरिफ को हथियार बनाने से रिश्तों में खटास आ सकती है।
3. विकासशील अर्थव्यवस्था की चुनौतियाँ : - भारत को अभी भी विदेशी निवेश और तकनीकी सपोर्ट की ज़रूरत है। टैरिफ युद्ध से निर्यातकों को अंतरराष्ट्रीय मार्केट में नुकसान होगा।
4. WTO और अंतरराष्ट्रीय दबाव : - भारत WTO का सदस्य है और मनमाने टैरिफ बढ़ाने पर अंतरराष्ट्रीय दबाव और डिप्लोमैटिक आइसोलेशन का खतरा बढ़ सकता है
5. घरेलू उद्योग की तैयारी की कमी : - भारत की कई इंडस्ट्रीज़ अभी वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार नहीं हैं। टैरिफ लगाने से घरेलू उपभोक्ताओं को महँगाई और प्रोडक्ट की कमी का सामना करना पड़ सकता है
क्या भारत को टैरिफ से जवाब देना चाहिए?
यह एक दो-धारी तलवार है। जवाब देना ज़रूरी है ताकि भारत कमजोर न दिखे, लेकिन रणनीतिक रूप से ही।
भारत को चाहिए कि वह सेलेक्टिव टैरिफ लगाए, वैकल्पिक मार्केट्स तलाशे और घरेलू उद्योग को मजबूत करे।
निष्कर्ष
ट्रम्प ने टैरिफ को एक आर्थिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया। भारत अब तक टैरिफ से जवाब देने में हिचकिचा रहा है
— इसके पीछे कारण हैं अमेरिकी मार्केट पर निर्भरता, कूटनीतिक संतुलन, विकासशील अर्थव्यवस्था की बाधाएँ और घरेलू उद्योग की कमजोरी।
भविष्य में अगर भारत को वैश्विक शक्ति बनना है, तो उसे एक संतुलित टैरिफ नीति की ओर बढ़ना होगा।
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