GA4-314340326 उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के पीछे की राजनीति

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के पीछे की राजनीति

 


National Political News:उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Vice President Jagdeep Dhankhar) के अचानक इस्तीफे ने भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी है। उनके इस्तीफे का कारण “स्वास्थ्य” बताया गया, लेकिन सियासी गलियारों में यह बात खुलकर कही जा रही है कि यह सिर्फ एक बहाना है। असल में यह इस्तीफा कई राजनीतिक समीकरणों और संभावित रणनीतियों से जुड़ा हुआ है, जो आने वाले समय में देश की राजनीति की दिशा बदल सकते हैं।

स्वास्थ्य का बहाना या कुछ और.......

जगदीप धनखड़ का स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा देना, पहली नजर में साधारण लग सकता है, लेकिन हाल ही में उनकी सार्वजनिक गतिविधियां और ऊर्जा देखकर यह तर्क कमजोर प्रतीत होता है। धनखड़ जी सक्रियता से संसद और राजनीतिक कार्यक्रमों में भाग ले रहे थे। ऐसे में उनके इस्तीफे को लेकर कई सवाल उठना स्वाभाविक है।

भाजपा की आंतरिक रणनीति

एक बड़ा कारण जो सामने आ रहा है, वह है भाजपा की आंतरिक राजनीति और रणनीतिक बदलाव। 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद से भाजपा संगठन और नेतृत्व में कई स्तरों पर पुनर्गठन की बातें चल रही हैं। यह भी संभावना है कि धनखड़ को किसी और बड़ी भूमिका के लिए तैयार किया जा रहा है — जैसे कि राजस्थान की राजनीति में मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाना, जहां वे पहले राज्यपाल भी रह चुके हैं और जाट समुदाय में अच्छी पकड़ रखते हैं।

संसद की कार्यप्रणाली और विपक्ष से टकराव

उपराष्ट्रपति के तौर पर धनखड़ राज्यसभा के सभापति भी होते हैं। उनका कार्यकाल अक्सर विपक्षी दलों से टकरावों और तीखी बहसों से भरा रहा। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि उनकी संवाद शैली और विपक्ष के साथ तीखा व्यवहार संसद के लिए परेशानी का कारण बन रहा था। ऐसे में सरकार की कोशिश हो सकती है कि राज्यसभा में किसी ऐसे व्यक्ति को लाया जाए जो विपक्ष के साथ बेहतर संवाद स्थापित कर सके और सदन को सुचारु रूप से चला सके।

भविष्य की भूमिका – राष्ट्रपति या   .........

कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जगदीप धनखड़ को अब 2027 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव की तैयारी के लिए मैदान में उतारा जा रहा है। उनके जाट समुदाय से होने, कानूनी पृष्ठभूमि और तेजतर्रार छवि को देखते हुए उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर एक और बड़ी भूमिका में लाने की योजना हो सकती है। इसके लिए जरूरी है कि वह अभी से जनसंपर्क और राजनीतिक सक्रियता बढ़ाएं, जो उपराष्ट्रपति के सीमित अधिकारों में संभव नहीं है।

निष्कर्ष

जगदीप धनखड़ का इस्तीफा सिर्फ एक औपचारिक कदम नहीं, बल्कि भारतीय राजनीति में एक बड़ी सियासी चाल का हिस्सा है। यह इस्तीफा आने वाले समय में न केवल भाजपा के आंतरिक समीकरणों को बदल सकता है, बल्कि राष्ट्रपति चुनाव,  संसद की कार्यप्रणाली को भी प्रभावित कर सकता है। पर्दे के पीछे जो भी खेल है, वह आने वाले महीनों में साफ होता जाएगा, लेकिन इतना तय है कि यह सिर्फ स्वास्थ्य का मामला नहीं है।


The politics behind the resignation of Vice President Jagdeep Dhankhar


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