GA4-314340326 मालेगांव धमाका केस: 17 साल बाद आया न्याय, सभी आरोपी बरी

मालेगांव धमाका केस: 17 साल बाद आया न्याय, सभी आरोपी बरी






 भगवा आतंकवाद मिथक साबित हुआ🔴 क्या है मालेगांव धमाका केस?


Malegaon:   महाराष्ट्र में 29 सितंबर 2008 को हुए विस्फोट ने पूरे देश को दहला दिया था। इस धमाके में 6 लोग मारे गए और 100 से अधिक घायल हुए थे। प्रारंभिक जांच में यह दावा किया गया था कि धमाका एक हिंदू कट्टरपंथी संगठन द्वारा किया गया। इस केस में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल पुरोहित और अन्य को आरोपी बनाया गया।

⚖ कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला – सबूतों के अभाव में सभी आरोपी बरी

स्पेशल NIA कोर्ट ने 31 जुलाई 2025 को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि मामले में "कोई भी ठोस सबूत नहीं मिल पाए", जिस कारण सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि "भगवा आतंकवाद" जैसी कोई अवधारणा इस केस में प्रमाणित नहीं हुई।

 साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का बयान

फैसले के बाद बीजेपी सांसद और पूर्व आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने मीडिया से कहा:

 "आतंकवाद कभी भगवा था ही नहीं। सनातन धर्म को बदनाम करने की एक साजिश थी जो अब न्याय से साफ हो गई है।"

 राजनीतिक हलकों में हलचल

इस फैसले से राजनीतिक गलियारों में खलबली मच गई है।

बीजेपी और हिंदू संगठनों ने फैसले का स्वागत किया और इसे "सत्य की जीत" बताया।

वहीं, विपक्षी दलों ने जांच एजेंसियों की निष्पक्षता और लंबी प्रक्रिया पर सवाल उठाए।

 सोशल मीडिया पर ट्रेंडिंग: #भगवा_न्याय #NIA

फैसले के कुछ ही घंटों में सोशल मीडिया पर  #भगवा_न्याय और #NIA फैसला ट्रेंड करने लगे। हजारों यूज़र्स ने इसे "सांस्कृतिक पुनर्वास का दिन" बताया।

 निष्कर्ष:

यह केस केवल एक धमाके तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह भारत की राजनीति, धर्म और न्याय प्रणाली का परीक्षण बन गया। 17 साल बाद मिला यह फैसला न केवल कानून की जीत है, बल्कि "भगवा आतंकवाद" की धारणा पर गहरी चोट भी है।


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