पंडा धर्मरक्षिणी सभा के महामंत्री ने प्रशासन को दिए चार सुझाव
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निर्मल झा |
महामंत्री ने दिये ये सुझाव
1. प्रशासनिक भवन के ऊपरी तल से प्रवेश बंद हो : महामंत्री ने कहा कि प्रशासनिक भवन के ऊपरी तल से भक्तों का मंदिर में प्रवेश पूरी तरह से बंद हो। जब पहले से दो व्यवस्था (शीघ्र दर्शनम और सामान्य भक्तों की कतार) चली रही है तो प्रशासनिक भवन के ऊपरी तल्ले से प्रवेश का कोई औचित्य नहीं रह जाता है। उक्त स्थान से प्रवेश बंद होने से हजार-दो हजार भक्त स्वत: कम हो जाएंगे। यह भीड़ एक जगह जाकर केंद्रित हो जाती है, जिससे परेशानी होती है।
2. अधिकृत लोगों के लिए खुले फीलपाया, दुरुपयोग न हो : हर 15-20 मिनट पर फीलपाया खोलकर भक्तों को प्रवेश कराया जाता है। फीलपाया खुले, लेकिन सिर्फ अधिकृत लोगों के लिए। न कि अधिकृत लोगों की आड़ में फीलपाया को खोल कर उसका दुरुपयोग किया जाए।
3. टी-प्वाइंट पर पुलिस की तैनाती हो : शीघ्र दर्शनम और सामान्य भक्तों की कतार के टी-प्वाइंट पर सालों भर पुलिस की तैनाती हो। हर एक घंटे में 15 मिनट सिर्फ शीघ्र दर्शनम वाले भक्तों को प्रवेश कराया जाए। अगर एक दिन का औसत देखा जाए तो रोजाना चार से लेकर साढ़े चार हजार भक्त शीघ्र दर्शनम के जरिए पूजा करते हैं। ऐसे में अगर हर घंटे 15 मिनट शीघ्र दर्शनम की कतार चलाते हैं तो भक्त सुगमता पूर्वक जलार्पण कर सकेंगे।
4. मंझलाखंड-गर्भगृह में अनुभवी पुलिस और तीर्थ पुरोहितों की तैनाती हो : मंझला खंड में अनुभवी पुलिसकर्मी और गर्भगृह में अनुभवी तीर्थ पुरोहितों को तैनात किया जाए, तो भक्तों को दर्शन के बाद वहां से निकालने में फुर्ती दिखाए। यह व्यवस्था पहले लागू थी, लेकिन अब बंद हो चुकी है। दस लोग भी तैनात हो जाते हैं तो परंपरा नहीं टूटेगी और अस्था के साथ खिलवाड़ भी नहीं होगा।
Interference with the tradition of offering water till 8 pm, if it is not stopped then we will go to court: Nirmal Jha
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