GA4-314340326 झारखंड सरकार को चुनौती: सेवानिवृत एसीएफ कर रहे दो रेंजर का काम

झारखंड सरकार को चुनौती: सेवानिवृत एसीएफ कर रहे दो रेंजर का काम

अजय कुमार मंजूल
अनिल कुमार चौधरी / (Ranchi) वनविभाग में सहायक वन संरक्षक के पद से रिटायर हुए अजय कुमार मंजूल को दो रेंज का वनक्षेत्र पदाधिकारी बना दिया गया। 31 मार्च 2025 को अजय कुमार मंजुल तोपचांची वनक्षेत्र पदाधिकारी(रेंजर) के पद से रिटायर कर गए। वे टुंडी रेंजर के अतिरिक्त प्रभार पर भी काम कर रहे थे। लेकिन वर्तमान समय में भी वे रिटायरमेंट के बाद भी दोनों रेंज के रेंजर के पद पर काम कर रहे है। हालांकि अजय कुमार मंजुल एक साल से सेवाविस्तार पर काम कर रहे थे। वे 31 मार्च 2024 को सहायक वन संरक्षक धनबाद प्रमंडल से रिटायर हुए थे। 

एक साल के लिए मिला मंजूल को सेवा विस्तार

एक साल का है सेवा विस्तार 
बाद में झारखंड सरकार के वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के विभागीय अधिसूचना 974 दिनांक 15 मार्च 2024 के आधार पर मंजुल को एक साल का सेवाविस्तार दिया गया। इस आदेश के बाद एसीएफ से रिटायर हुए मंजुल को डिमोशन करके रेंजर बनाया गया। साथ ही इन्हें तोपचांची व टुंडी का रेंजर बनाया गया था। ज्ञात हो कि रिटायर होने के बाद सारी अधिसूचना रद्द हो जाती है लेकिन मंजुल सेवा निवृत्ति उपरांत भी सेवा अर्थ को बदल पुराने तरीक़े से वित्तीय लेन-देन कर रहे है।

तीन साल का मिला है सेवा विस्तार: मंजूल

इधर अजय कुमार मंजुल ने बताया कि उन्हें सरकार ने तीन साल का सेवा विस्तार दिया है। काम नही करने का सरकार का कोई अगला आदेश नही आया है इसलिए काम कर रहे है। सरकार का नौकर है जिस दिन सरकार का आदेश काम नही करने का आएगा पद से हट जायेंगे। अनगड़ा के जिला परिषद सदस्य राजेन्द्र शाही मुंडा ने कहा कि वनविभाग के द्वारा सरकारी राशि के गबन करने की नीयत से रिटायर एसीएफ को डिमोशन करके रेंजर बनाया गया। ताकि सरकारी राशि को लूटकर विभाग के वरीय अधिकारियों के बीच बंटवारा हो सकें। इस मामले की जांच ईडी से कराया जाए। जिससे दोषी अधिकारी के खिलाफ कानूनी कारवाई की जा सके।

अचानक से वन विभाग मंजूल पर हुआ मेहरबान

 अक्टूबर 2023 में मंजुल को टुंडी का वनक्षेत्र पदाधिकारी(रेंजर) बनाया गया। इन्हें 2020 से एसीएफ के साथ-साथ तोपचांची रेंज का प्रभार दिया गया जो अभी भी है। रिटायर होने के बावजूद मंजुल एक साथ दो दो रेंज का रेंजर बनाकर काम कराया जा रहा है। गौरतलब है कि दोनों रेंज में वनविभाग के द्वारा करोड़ों रूपया की बीसीसीएल, इसीएल, कैंपा सहित करीब 10 करोड़ रूपया की अन्य योजनाएं चल रही है। रिटायरमेंट के बाद अब इन योजनाओं का राशि को खर्च करने का वित्तीय अधिकार मंजुल के पास ही रहेगा।  

बगैर वेतनमान के कर रहे हैं काम 

सेवानिवृति के बाद सेवाविस्तार देने की प्रक्रिया का भी वनविभाग ने घोर उल्लंधन किया गया। सेवाविस्तार में राज्यपाल की सहमति आवश्यक होती है। लेकिन इसमें राज्यपाल की सहमति नही ली गई। मुजंल के सेवाविस्तार को लेकर कोई सरकारी गजट नही निकाला गया। जिस केबिनेट आदेश को लेकर मंजुल की नियुक्ति की गई उसमें सेवानिवृति के उपरांत शब्द अंकित है। इसका सीधा अर्थ वे सेवानिवृत हो गये और इसके बाद नई नियुक्ति की गई। इस नियुक्ति के लिए कोई वेतनमान भी निर्धारित नही किया गया। बगैर वेतन के ही मंजुल काम कर रहे है। गलत तरीके से मंजुल को सेवाविस्तार दिए जाने के खिलाफ आनंद कुमार ने झारखंड हाईकोर्ट में पीआईएल किया है। मामला लंबित है।    

सवाल: क्यों डिमोशन देकर बनाया रेंजर

करोड़ों की राशि के वारे-न्यारे करने की नीयत से वरीय अधिकारियों की सेटिंग से मंजुल का डिमोशन करके उसे रेंजर बनाया गया। जबकी रिटायरमेंट के समय उसकी मूल पदस्थापना सहायक वन संरक्षक पदाधिकारी(एसीएफ) की थी। लेकिन सरकारी राशि के गबन करने की नीयत से उसे गलत तरीके से सेवाविस्तार देकर रेंजर बनाया गया। गौरतलब बात तो यह है की जिस केबिनेट आदेश को लेकर इनकी नियुक्ति की गई इसको भी ताक पर रख दिया गया। केबिनेट नोट में कहा गया कि झारखंड में रेंजर की कमी को देखते ही इन्हें प्रभारी रेंजर बनाया जा रहा है। लेकिन इसी केबिनेट नोट में दो अन्य रेंजर जयप्रकाश भगत व अजय कुमार को भी “कथित सेवा विस्तार” दिया गया। लेकिन इन दोनों अधिकारी को रेंजर नही बनाया गया। जयप्रकाश भगत को वनपाल प्रशिक्षण विद्यालय हजारीबाग में एसीएफ सह प्रभारी निदेशक बनाया गया। वही अजय कुमार को सहायक वन संरक्षण वन्य प्राणी प्रमंडल रांची बनाया गया।

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