silli(ranchi) सिल्ली प्रखंड के असुरकोड़ा गांव में श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ सह श्रीमदागवत कथा के छह दिन पर आसपास के 10 गांव से अधिक गांव के श्रद्धालु पहुंचे। छठे दिन पर प्रवचन देते हुए दीनदयाल जी ने कहा कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, चतुर्थी तिथि के दिन ही भगवान शिव (भगवान शिव मंत्र) और माता पार्वती के पुत्र भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इसलिए चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि को ही भगवान गणेश ने महाग्रंथ महाभारत को लिखना आरंभ किया था। तत्पश्चात उन्होंने पुष्प वाटिका का प्रसंग वर्णन करते हुए कहा कि देव पूजन को गुरु विश्वामित्र श्रीराम को पुष्प लाने की आज्ञा देते हैं। भगवान श्रीराम, अनुज लक्ष्मण के साथ पुष्प लाने हेतु वैदेही वाटिका पहुंचते हैं। जहां जनक नंदनी जानकी व दशरथ नंदन श्रीराम की आंखें चार हो जाती हैं। श्रीराम पुष्प के लिए वाटिका के पास पहुंचते हैं। वहां उन्हें देखते ही वाटिका की रखवाली को मुख्य द्वार पर तैनात माली उन्हें अंदर प्रवेश करने से रोक देते हैं। भगवान श्रीराम बंधु माली हो हमके चाहीं कछु तुलसी दल और फूल. गाते हुए फूलवाड़ी में प्रवेश की अनुमति मांगते हैं, पर मालियों को तो उन्हें छकाना था। लिहाजा श्रीराम को उन्हीं के लहजे में माली गण जवाब देते हुए कइसे तुरब रउवा फूल धनुधारी हो कौतूहल करते है। कार्यक्रम से पूर्व श्रद्धालुओं के बीच आरती के साथ-साथ प्रसाद का भी वितरण किया गया। श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ सह श्रीमदा भागवत कथा जागरण गुरुवार को किया जाएगा।
भागवत कथा में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
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