तारकेश्वर महतो/silli(ranchi) सिल्ली क्षेत्र में पलाश के पेड़ों पर लगे फूल प्रकृति की सुंदरता पर चार चांद लगा रहे हैं। पलाश के खिले फूलों से यह आगाज होने लगा है कि होली का त्यौहार नजदीक आने लगा है। पलाश के फूल को देखकर लोगों में मादकता हिलोर मार रही है। जीवन में रंग का महत्व रेखांकित हो रहा है। परिर्वतन दिख रही है। प्रकृति हमें सीखा रही परिर्वतन अंतिम सत्य है। खिलने वाले फूल लोगों को आकर्षित करने लगे है। पलाश के आकर्षक फूल बरबस ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। बसंत ऋतु शुरू होने के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों और जंगलों में पलाश के फूल खिलना शुरू हो जाते है। पलाश के फूलों से छटा सिंदूरी हो जाती है। पेड़ों पर पलाश के फूल आते ही होली की फुहार मन को रोमांचित करती है। बंता निवासी आयुर्वेद के वैद्य घासीराम कोइरी ने बताया कि पलाश के पेड़ की छाल को उबालकर सेवन करने से पथरी और यकृत रोग दूर होते हैं। व्यवसाय उपयोगी पलाश के तने के रेशे से बनी रस्सी काफी मजबूत होती है। इसके पत्ते से दोने व पत्तल बनाए जाते थे। पूर्व में ये लोगो की आजीविका के प्रमुख साधन रहे है।
सिल्ली में चहुंओर खिला पलाश का फूल, कराया होली का एहसास
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