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| पुल का पाय क्षतिग्रस्त होने के बड़े वाहनों के गुजरने पर लगाई गई रोक । |
पुल की स्थिति और निर्माण पर सवाल
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, इस पुल का निर्माण लगभग 20-21 वर्ष पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा (Arjun Munda) के कार्यकाल में हुआ था। यह पुल वर्षों से बड़े मालवाहक ट्रकों और अन्य भारी गाड़ियों के आवागमन का मुख्य जरिया रहा है, जिससे इसकी संरचना पर लगातार दबाव बढ़ता गया।
पुल के पाया क्षतिग्रस्त होने के बाद अब राहगीरों में किसी बड़े हादसे की आशंका बनी हुई है।
जनप्रतिनिधियों से तत्काल हस्तक्षेप की मांग
इस गंभीर स्थिति पर, सामाजिक कार्यकर्ता दीपक उपाध्याय (Deepak Upadhyay) ने क्षेत्र के दोनों जनप्रतिनिधियों कल्पना मुर्मू सोरेन और सुदीव्य कुमार सोनू से तत्काल हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है।
उन्होंने जोर देते हुए कहा, "जनहित में यह अत्यंत आवश्यक है कि इस पुल की वास्तविक स्थिति की तत्काल जाँच करवाई जाए और इसके पुनर्निर्माण के लिए संबंधित विभाग को आवश्यक निर्देश दिए जाएं। विलंब से कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है।" उन्होंने कहा कि इस पुल से बड़ी संख्या में लोग रोजाना यात्रा करते हैं, और इसकी जर्जर स्थिति एक गंभीर खतरा पैदा कर रही है, जिस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है।

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