GA4-314340326 गिरिडीह में पैसा-पैरवी से मिलता है योजनाओं का लाभ

गिरिडीह में पैसा-पैरवी से मिलता है योजनाओं का लाभ

* तिसरी प्रखंड की गड़कुरा पंचायत में झोपड़ी गिरने के बाद गरीब परिवार को स्कूल में लेनी पड़ी शरण 
* मुखिया बोले: बैंक खाते में समस्या; समाजसेवी और पत्रकार आए मदद को आगे

अर्जुन भुला और उसके परिजन, पीछे गिरी हुई झोपड़ी।
अमित सहाय / गिरिडीह : झारखंड है साहब, यहां आपको सरकारी योजनाओं का लाभ पात्रता के अनुसार नहीं, बल्कि पैसे और पैरवी के बदौलत मिलता है। गिरिडीह जिले के तिसरी प्रखण्ड की गड़कुरा पंचायत से सामने आई यह हकीकत सरकारी व्यवस्थाओं और योजनाओं की कहानी बयां कर रही है।

यहां का एक गरीब दलित परिवार, बरतला गांव के अर्जुन भुला का परिवार, पिछले 30 वर्षों से झोपड़ी में गुजर-बसर करता आ रहा था। कई बार उसने स्थानीय स्तर पर आवास की मांग की, लेकिन उसे सिर्फ आश्वासन मिला। बीते शनिवार को दोपहर 12 बजे अर्जुन भुला की झोपड़ी अचानक ढह गई। गनीमत रही कि इस घटना में अर्जुन भुला, उनकी बेटी और उनके नाती बाल-बाल बच गए। अर्जुन भुला ने बताया कि उनका परिवार बीते तीस वर्षों से झोपड़ी बना कर रह रहा था, लेकिन अभी तक सरकार द्वारा न उसे वृद्धा पेंशन और न ही आवास का लाभ मिला है।

              ठंड से पहले भुला परिवार बेघर 

घर गिरने के बाद यह परिवार पास के एक स्कूल में शरण लिए हुए है। अब जब ठंड का मौसम दस्तक दे रहा है, ऐसे में इस परिवार का गुजर बसर कैसे होगा, यह प्रशासन पर एक बड़ा सवाल है।

झारखंड में अबुआ आवास योजना की शुरुआत बेघर और कमजोर परिवारों को पक्के घर उपलब्ध कराने के लिए की गई थी। लोगों का मानना है कि यदि ऐसे जरूरतमंद लोग भी लाभ से वंचित हैं, तो धरातल पर या तो यह योजना पूरी तरह नहीं उतर पाई है, या फिर योजना में गड़बड़झाला कुछ ज्यादा ही है।

 मुखिया का जवाब और अनसुलझे सवाल

इस संबंध में जब फोन पर पूछे जाने पर गड़कुरा पंचायत के मुखिया इब्राहिम अंसारी ने कहा कि आवास सूची में अर्जुन भुला का नाम है, लेकिन बैंक खाते में प्राब्लम होने के कारण पेमेंट नहीं हो पा रहा है। 

उठ रहे सवाल

 * क्या वाकई में अर्जुन भुला के बैंक खाते में समस्या है?

 * यदि समस्या है भी तो स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने उसे अबतक क्यों नहीं सुधरवाया?

 * या संबंधित विभाग को 'भोग नहीं चढ़ाने' के कारण अर्जुन भुला को आवास का लाभ नहीं मिल रहा? खैर, यह तो जांच का विषय है।

 प्रशासन की चुप्पी 

गरीब परिवार की मदद के लिए पत्रकार, समाजसेवी और आम लोग आगे आए, जबकि प्रशासनिक और राजनीतिक महकमा शांत रहा...

 * पत्रकार व समाजसेवी : इस परिवार का हाल जानने गए पत्रकार ने थोड़ी बहुत आर्थिक मदद की। वहीं, मदद की अपील पर बाल अधिकार कार्यकर्ता इंकज कुमार और युवा समाजसेवी रंजीत यादव ने उनसे मिलकर राशन व आर्थिक सहयोग किया।

 * सोशल मीडिया चेनल शुरू : उक्त परिवार की मदद के लिए सोशल मीडिया पर एक चेन शुरू की गई है। जिसपर सहयोग मिलना भी शुरू हो गया है।

 * राजनीतिक सहयोग : जानकारी मिलने पर जेएलकेएम के धनवार विधानसभा सीट से प्रत्याशी रहे राजदेश रतन ने भी इस परिवार से मुलाकात कर आर्थिक मदद की।

मगर अफसोस 

इस क्षेत्र के किसी भी चुने गए प्रतिनिधि या प्रशासनिक महकमे ने इस परिवार का हाल जानने की जहमत नहीं उठाई। बहरहाल, प्रशासन को इस दिशा में तत्काल सकारात्मक कार्रवाई करनी चाहिए। इस बाबत तिसरी के प्रखंड विकास पदाधिकारी को फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन सम्पर्क नहीं हो सका।





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