GA4-314340326 गिरिडीह में छठ महापर्व पर मातम: तालाब में डूबने से 3 की मौत, 108 एंबुलेंस की लापरवाही से छात्रा ने तोड़ा दम

गिरिडीह में छठ महापर्व पर मातम: तालाब में डूबने से 3 की मौत, 108 एंबुलेंस की लापरवाही से छात्रा ने तोड़ा दम

अस्पताल से शव ले जाने परिजन।
अमित सहाय/ गिरिडीह : आस्था के महापर्व छठ पूजा के दौरान गिरिडीह जिले में तीन अलग-अलग दर्दनाक हादसों में तीन लोगों की मौत हो गई। इन हादसों ने स्थानीय प्रशासन, स्वास्थ्य सेवा और सुरक्षा प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जमुआ, बिरनी और हीरोडीह प्रखंडों में हुई इन घटनाओं ने पूरे क्षेत्र को शोक में डुबो दिया है।

 108 एंबुलेंस की नाकामी: अंशु कुमारी की मौत

पहला और सबसे गंभीर मामला जमुआ प्रखंड के परांचीडीह गांव का है। सोमवार को छठ की तैयारी के दौरान 14 वर्षीय अंशु कुमारी की तालाब में डूबने से मौत हो गई।

ग्रामीणों और परिजनों का आरोप है कि उन्होंने तुरंत 108 एंबुलेंस सेवा को कई बार कॉल किया, लेकिन समय पर कोई मदद नहीं मिली। ग्रामीणों ने कहा कि अगर 108 एंबुलेंस समय पर पहुंच जाती, तो शायद अंशु की जान बच सकती थी। स्वास्थ्य सेवा की लापरवाही ने हमारी बच्ची की जान ले ली। अंततः, बच्ची को निजी वाहन से गिरिडीह सदर अस्पताल ले जाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने समय पर अस्पताल न पहुँचने के कारण उसे मृत घोषित कर दिया। यह घटना जिले की लचर और लाचार स्वास्थ्य प्रणाली को उजागर करती है।

छठ अर्घ्य के दौरान दो अन्य हादसे

 * बिरनी प्रखंड (बाराडीह): सोमवार शाम अर्घ्य के दौरान सात वर्षीय दीपक तूरी नदी में डूब गया। प्रशासन और NDRF की टीम ने 14 घंटे रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया, जिसके बाद मंगलवार सुबह उसका शव बरामद हुआ। दीपक के माता-पिता मुंबई में मजदूरी करते हैं। पूर्व विधायक विनोद सिंह ने घटनास्थल का दौरा कर प्रशासन से पीड़ित परिवार के लिए मुआवजे की मांग की है।

 * हीरोडीह (कठवाड़ा धीरोसिंघा): दिलीप कुमार राय (उम्र अज्ञात) भी सोमवार शाम अर्घ्य देते समय संतुलन बिगड़ने से तालाब में डूब गए। लोगों ने बचाने की कोशिश की, लेकिन वे उन्हें बचा नहीं पाए। सूचना मिलते ही थाना प्रभारी और बीडीओ मौके पर पहुंचे और शव को बाहर निकलवाया।

 सुरक्षा प्रबंधन पर गंभीर सवाल

इन तीनों दुखद घटनाओं ने प्रशासनिक तैयारी और सुरक्षा प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोगों का स्पष्ट आरोप है कि अगर छठ घाटों पर पर्याप्त सुरक्षा गार्ड और बचाव दल (Rescue Team) तैनात होते, तो तीनों मासूम जिंदगियों को बचाया जा सकता था।



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