फोटो : बीएयू के स्थापना दिवस के अवसर पर कृषि अभियंत्रण महाविद्यालय के भवन का उद्घाटन करतीं कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की और अन्य।
फोटो : बीएयू के एनुअल रिपोर्ट का विमोचन करतीं कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की और अन्य।
(KANKE NEWS, RANCHI)। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) राज्य के किसानों के सामाजिक, आर्थिक और तकनीकी सुदृढ़ीकरण का केंद्र बने। साथ ही उनके दुख-दर्द को कम करने की दिशा में भी कार्य करे। ये बातें राज्य की कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने गुरुवार को बीएयू के 45 वें स्थापना दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में वैज्ञानिकों, पदाधिकारियों,कर्मियों और छात्रों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि बीएयू मात्र कृषि और संबद्ध विषयों में स्नातक और परास्नातक तैयार करने वाला कारखाना नहीं है। कहा कि किसी भी उच्च शिक्षण संस्थान की पहचान वहां के भवन, ढांचागत सुविधाओं और पुस्तकों आदि से नहीं होती, बल्कि उसे चलाने वाले लोगों की मेधा, दूरदृष्टी, सोच और समर्पण से होती है। उन्होंने कहा कि सरकार विश्वविद्यालय में रिक्त पड़े वैज्ञानिकों और अन्य पदाधिकारियों एवं कर्मियों के पदों को भरने सहित अन्य समस्याओं के समाधान के लिए प्रयासरत है। कहा कि विश्वविद्यालय की प्रगति के लिए शिक्षकों, विद्यार्थियों, राज्य सरकार और राजभवन को मिलकर एवं समर्पित प्रयास करना होगा। उन्होंने प्रौद्योगिकी प्रसार के लिए वैज्ञानिकों को नियमित रूप से गांव भ्रमण करने की सलाह भी दी। कहा कि सभी को मिलकर विश्वविद्यालय गठन के उद्देश्यों को पूरा करने का प्रयास करना होगा। उन्होंने विद्यार्थियों से यह भी पूछा कि वे कृषि, पशुपालन जैसे विषय पढ़ने के लिए क्यों आए हैं। साथ ही सलाह दिया कि जब वे नौकरी में आ जाएं तो अपने समय और संसाधन का कुछ अंश समाज के लिए भी अर्पित करें। इसके पूर्व मंत्री ने कृषि अभियंत्रण महाविद्यालय के भवन का उद्घाटन किया। इस सुंदर भवन का निर्माण मेसर्स समनूर मंसूरी कंस्ट्रक्शन के द्वारा कराया गया है। बीएयू की वार्षिक रिपोर्ट का लोकार्पण भी किया। साथ ही राज्य के विभिन्न जिलों से आए पांच नवोन्मेषी किसानों को सम्मानित भी किया। वहीं विशिष्ट अतिथि कृषि सचिव अबूबकर सिद्दीकी ने कहा कि बीएयू को अपना शिक्षण स्तर बनाए रखने और उसे उत्तरोत्तर सुदृढ़ करने के मुद्दे को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्होंने शिक्षण की गुणवत्ता से किसी भी स्तर पर समझौता नहीं करने का सुझाव दिया। अतिथियों का स्वागत करते हुए बीएयू के कुलपति डॉ एससी दुबे ने कहा कि क्लाइमेट रेसिलियंट और बायो फोर्टीफाइड फसल प्रभेदों का विकास तथा कृषि पद्धति में बागवानी और पशुपालन का समावेश करते हुए उसको वैविध्यपूर्ण बनाना विश्वविद्यालय का मुख्य लक्ष्य है। उन्होंने विश्वविद्यालय में शिक्षकों, वैज्ञानिकों तथा अन्य कर्मियों के बड़ी संख्या में रिक्त पड़े पदों तथा शिक्षकेतर कर्मियों के लिए एसीपी, एमएसीपी लागू करने की ओर भी मंत्री का ध्यान आकृष्ट कराया। इस अवसर पर कांके के विधायक सुरेश कुमार बैठा तथा भारतीय कृषि जैवप्रौद्योगिकी संस्थान, रांची के निदेशक डॉ सुजय रक्षित भी उपस्थित थे। इस अवसर पर उत्कृष्ट एकेडमिक प्रदर्शन और सर्वाधिक ओजीपीए प्राप्त करने के लिए इशिता और अभिषेक कुमार पाठक (कृषि महाविद्यालय, गढ़वा), अंबिका राज (रांची पशु चिकित्सा महाविद्यालय), कुमारी काजल (मात्स्यिकी विज्ञान महाविद्यालय, गुमला) तथा लक्ष्मी कुमारी (वानिकी महाविद्यालय, रांची) को सम्मानित किया गया। 84 वर्ष से अधिक उम्र के छह अवकाश प्राप्त कर्मियों को संस्थान के प्रति उनके लाइफटाइम योगदान के लिए सम्मानित किया गया। इनमें पशु पोषण विभाग के अध्यक्ष डॉ ज्योतीन्द्र प्रसाद श्रीवास्तव, मिट्टी विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ कृष्णा प्रसाद सिंह एवं डॉ रामदेव प्रसाद गुप्त तथा शिक्षकेतर कर्मी बिनोद बिहारी सिन्हा, रामानंदी प्रसाद सिंह तथा कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव शामिल हैं। इधर शिक्षकों के लिए नई शिक्षा नीति विषय पर आयोजित निबंध प्रतियोगिता में वेटनरी कॉलेज की डॉ नंदनी कुमारी को प्रथम तथा कृषि अभियंत्रण महाविद्यालय की वंदना चौबे को द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ। यूजी विद्यार्थियों के लिए आयोजित निबंध प्रतियोगिता में ईशा श्रीवास्तव को प्रथम, चंदन कुमार यादव के द्वितीय तथा पीजी विद्यार्थियों के लिए आयोजित प्रतियोगिता में स्मिता शालिनी कुल्लू को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ। शिक्षकेतर कर्मियों के लिए हुई निबंध प्रतियोगिता में अखिलेश कुमार को प्रथम तथा भारती कुमारी को द्वितीय पुरस्कार प्रदान किया गया। कृषि क्षेत्र की बेहतरी में विशिष्ट योगदान करने वाले जिन किसानों को कृषि मंत्री ने सम्मानित किया उनमें संगीता कुमारी (बोकारो) सीताराम दांगी (चतरा), तरुणा मुर्मू (गिरिडीह), दीपक कुमार (पाकुड़) तथा गोपाल भगत (रांची) शामिल हैं। कार्यक्रम का संचालन शशि सिंह ने किया। आयोजन में कृषि अधिष्ठाता डॉ डीके शाही तथा निदेशक छात्र कल्याण डॉ बीके अग्रवाल की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
बीएयू का 45वां स्थापना दिवस मनाया गया किसानों के लिए तकनीकी सशक्तिकरण का केंद्र बने बीएयू : शिल्पी नेहा तिर्की
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