विशिष्ट अतिथि रांची विवि के डीएसडब्लयू प्रोफेसर डा. सुदेश कुमार साहू व जेडी नेशनल कालेज की सचिव जेडी सिंह थी। जबकि रिसोर्स पर्सन, डिपार्टमेंट आफ एजुकेशन आरआईई भुवनेश्वर एनसीईआरटी, उड़ीसा के प्रोफेसर डा. ऋषिकेश सेनापति, मलेशिया टीचर्स इंस्टीट्यूट आफ मलेशिया के फार्मर सीनियर एक्सीलेंट लेक्चरर प्रोफेसर डा. इस्माइल मुहम्मद जैन, फकीर मोहन यूनिवर्सिटी बालाशोर उड़ीसा शिक्षा संकाय के प्रोफेसर डा. अमूल्य कुमार आचार्य और साईनाथ यूनिवर्सिटी के एसोसिएट डीन प्रोफेसर डा. आनन्द मोय थे। अतिथियों का स्वागत प्राचार्य डा. अमिताभ सिंह ने किया।
कई विशेषज्ञों ने रखे अपने विचार
वीसी डा. अजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि नयी शिक्षा नीति का उद्देश्य शिक्षा संस्थानों में व्यावसायिक शिक्षा के कार्यक्रमों को मुख्यधारा की शिक्षा में शामिल करना है। इसका उद्देश्य स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा सुनिश्चित करना है। डा. सुदेश कुमार साहू ने कहा कि एनईपी से आमूलचूल परिवर्तन आयेगा, युवाओं के हाथ में अब सिर्फ डिग्री नहीं योग्यता के साथ स्कील होगा। डा. ऋषिकेश सेनापति ने कहा कि यह शिक्षा नीति विद्यार्थियों को वैश्विक समस्याओं एवं चुनौतियों से लड़ने की शक्ति प्रदान करती है। निश्चित रुप से यह परिवर्तनकारी सिद्ध होगी। डा. इस्माइल मुहम्मद जैन ने आनलाइन अपने विचार व्यक्त किये। इन्होंने छात्रों को विभिन्न प्रकार की शैक्षिक समस्याओं से परिचित कराया। जिससे वे अपने लक्ष्य को हासिल करके आत्मनिर्भर एवं स्वावलम्बी बन सकें। यही राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य है। डा. अमूल्य कुमार आचार्य ने कहा कि आज विद्यार्थी का उद्देश्य परीक्षा पास करना है। इसी दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर वह पढ़ता है। इसलिए उसके अन्दर सृजनात्मकता झमता विकसित नहीं हो पाती, क्योंकि पूर्ववर्ती शिक्षा नीति अपने पसंद का विषय लेने पर प्रतिबंध लगाता है। जबकि नवीन शिक्षा नीति किसी भी विद्यार्थी को अपने पसंद का विषय पढ़ने की स्वतंत्रता देता है। इससे विद्यार्थी के अन्दर सृजनात्मकता पैदा होगी। यह नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति की विशेषता है। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति एकेडेमिक बैंक आफ क्रेडिट(एबीसी) की सुविधा प्रदान करता है। यह क्रेडिट बेस है अर्थात यदि किसी विद्यार्थी ने दो सेमेस्टर पास करके पढ़ाई छोड देता है तो वह कभी भी अपनी पढाई पूरी कर सकता है। इस अवसर पर बडी संख्या में रांची के विभिन्न कालेजों से शिक्षकों, शोधार्थियों एवं छात्रों ने द्वितीय सत्र में अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया।
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