silli(ranchi) सिल्ली प्रखंड के असुरकोड़ा गाँव मे श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ सह श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन प्रवचन देते हुए वनांचल पीठाधीश्वर दीनदयाल जी महाराज ने कहा किचंद्रवंशी वंश भी भारत का एक प्राचीन क्षत्रिय (योद्धा) वंश है। इन्हें चंद्रमा का वंशज कहा जाता है। माना जाता है कि हिंदू भगवान कृष्ण का जन्म चंद्र वंश की यदुवंश शाखा में हुआ था।शतपथ ब्राह्मण के अनुसार, पुरुरवा बुद्ध (खुद को अक्सर सोम के पुत्र के रूप में वर्णित किया जाता है) और लिंग-परिवर्तन करने वाली देवता इला (मनु की बेटी के रूप में पैदा हुई) का पुत्र था। पुरुरवा के प्रपौत्र ययाति थे, जिनके यदु, तुर्वसु, द्रुह्यु, अनु और पुरु नामक पांच पुत्र थे। ये वेदों में वर्णित पांच वैदिक जनजातियों के नाम प्रतीत होते हैं। महाभारत के अनुसार , राजवंश के पूर्वज इला ने प्रयाग से शासन किया था, और उनका एक पुत्र शशबिंदु था, जो बहली देश में शासन करता था। इला और बुद्ध के पुत्र पुरुरवा थे जो इस ग्रह के पहले चंद्रवंशी सम्राट बने। इला के वंशजों को ऐलास के नाम से भी जाना जाता था । इससे पूर्व जयंती शास्त्री ने भी श्री कृष्ण की कथा प्रवचन श्रद्धालुओं को दी। तत्पश्चात प्रसाद का वितरण किया गया। पांचवें दिन काफी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ देर रात तक जमी रहे।
श्रीमद भागवत कथा: पांचवें दिन श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
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