GA4-314340326 वैष्णो माता का दर्शन कर लौटे श्रद्धालु, देश की खुशहाली का मांगी

वैष्णो माता का दर्शन कर लौटे श्रद्धालु, देश की खुशहाली का मांगी

माता वैष्णों देवी का दर्शन कर लौटे श्रद्धालु 
वैष्णो माता का दर्शन कर लौटे तारकेश्वर महतो/silli(ranchi)  जय माता दी यात्रा मंच सिल्ली के ओर से 97 सदस्य पांच दिवसीय जम्मू से वैष्णो माता के दर्शन कर वापस लौटे। देश व परिवार की खुशहाली के लिए माता वैष्णो देवी से वरदान मांगा। जय माता दी यात्रा मंच के सदस्य संतोष साव एवं चिंटू साव के नेतृत्व में पिछले 8 अप्रैल को यह सदस्य माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए रवाना हुए थे। जहां नवरात्र मैं श्रद्धालुओं ने माता के जयकारे लगाते हुए 14 किलोमीटर  पहाड़ पर चल कर मंदिर पहुंचे। एवं माता के दर्शन कर परिवार की सुख समृद्धि की कामना की। माता ने बुलाया तो मात्र 36 घंटे में कटरा से दो बार पैदल चलकर माता वैष्णो देवी मंदिर जाकर माता का दर्शन की माता जिनको याद करे, वो लोग निराले होते है। 

बस चालक काे आया हार्ट अटैक, माता की कृपा से बची सभी की जान

जाको राखे साइयां मार सके ना कोई जाको राखे साइयां मार सके न कोय, यह कहावत चर्चित तो थी ही, लेकिन इस वस्तविकता देखने को मिली, विदिशा की ये घटना किसी चमत्कार से कम नहीं थी। जय माता दी यात्रा मंच के सभी सदस्य वैष्णो देवी माता का दर्शन के बाद दो बसों पर शिवखोड़ी दर्शन के लिए गए। सभी सदस्य शिवखोड़ी से वापस आने के बाद उन्हें बस के चालक द्वारा कटरा स्टेशन पर उतर कर जैसे ही बस स्टैंड की ओर जाने लगा तभी बस चालक को हार्ट अटैक आ गई। जहां उनके सहयोगियों द्वारा आनन फानन में अस्पताल ले जाया गया जहां उसकी स्थिति अब भी गंभीर बनी हुई है। उस बस पर मंच के लगभग 40 सदस्य अपने परिवार एवं बच्चों के साथ घाटियों का सफर कर वापस लौटे थे। ये घटना 10 मिनट पहले होता तो बड़ी घटना से इंकार नही किया जा सकता था। लेकिन माता की कृपा  सभी लोग सलामत वापस लौट आए।

36 घंटा में दो बार माता का दर्शन किया रितेश महतो 

रितेश महतो
 सिल्ली लोवपीडी निवासी रितेश उर्फ रिक्की महतो दो बार कटरा से वैष्णो देवी मंदिर मात्र 36 घंटा में पूजा अर्चना कर वापस लौटे। रितेश बताते है माता का बुलावा आया है तो जाना ही था। साथ गये साथियों ने भी हमारा हौसला बढ़ाया। रितेश बताते है माता जिनका नाम पुकारे, किस्मत वाले होतें हैं || चलो भुलावा आया है, माता ने बुलाया है | ऊँचे परबत पर रानी माँ ने दरबार लगाया है || सारे जग मे एक ठिकाना, सारे गम के मारो का, रास्ता देख रही है माता, अपने आख के तारों का | मस्त हवाओं का एक झोखा यह संदेसा लाया है || जय माता की कहते जाओ, आने जाने वालो को, चलते जाओ तुम, जिस ने जितना दरद सहा है, उतना चैन भी पाया है।


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