silli(ranchi) सिल्ली प्रखंड के असुरकोड़ा गांव में श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ सह श्रीमद्भागवतकथा प्रारंभ की गई। यह आयोजन अगामी 7 मार्च तक चलेगा। संध्याकाल में पंचांग पुजन एवं मण्डप प्रवेश का कार्य संपन्न किया गया । यह आयोजन जगदगुरु वनांचलपीठा धीश्वर स्वामी दीनदयालजी महाराज जी उपस्थित हुए है। संध्याकाल में श्रीमद्भागवत कथा में उन्होंने कहा कि विदुर चरित्र का वर्णन करते हुये कहा कि विदुर जी धर्म पथ पर चलते हुये महाभारत युद्ध से पूर्व कौरवों दुर्योधन का त्याग कर पत्नी सुलभा के साथ गंगा तट पर पर्णकुटी बनाकर निवास करने लगे और सात्विक आहार करते हुये दोनो पति पत्नी ब्रह्मचर्य पूर्वक रहते हुये भगवान की आराधना की। खानपान की शुद्दता के कारण हृदय में सात्विक भक्ति और प्रेम का उदय हुआ जो अंततः भगवत् प्राप्ति का कारण बना और भगवान उनकी कुटीया में पधारते है और साग के प्रसाद का भोग लगाते हैं। जीवन में खान पान की शुद्धता आवश्यक है, कहा भी गया है जैसा खाओगे अन्न वैसा होगा मन। अंत जीवन में खानपान की शुद्धता होने पर शरीर में सत्वगुण की वृद्धि होती है और जब सत्वगुण की वृद्धि होती है तो जीव धर्म की ओर उन्मुख होता है। जब जीव धर्म की ओर उन्मुख होता है तो हृदय में भगवद्भक्ति, भगवदप्रेम का संचार होता है, जो भगवतप्राप्ति का कारक बन जाता है। श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ सह श्रीमद्भागवतकथा प्रारंभ से पूर्व गांव के समीप स्वर्णरेखा नदी पुल से सैकड़ों महिलाओं ने कलश यात्रा निकाली। एवं यज्ञ स्थल पर पहुंचकर पुरोहित द्वारा मंत्रोचार के बाद कलश स्थापना की गई।
कलश यात्रा के साथ शुरू हुआ श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ सह श्रीमद भागवत कथा
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