GA4-314340326 रिनपास में पांच माह में ही बदला गया निदेशक, प्राध्यापक को हटा अपर प्राध्यापक को दे दिया प्रभार

रिनपास में पांच माह में ही बदला गया निदेशक, प्राध्यापक को हटा अपर प्राध्यापक को दे दिया प्रभार

कांके,(रांची)। रांची तंत्रिका मनोचिकित्सा एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (रिनपास) कांके में स्वास्थ्य विभाग ने एक बार फिर से बड़ा खेल कर दिया है। शुक्रवार को पांच माह पहले ही रिनपास का प्रभारी निदेशक बनाए गए डॉक्टर अमूल रंजन सिंह विभागाध्यक्ष सह प्राध्यापक को अचानक बिना कोई कारण बताए पदमुक्त कर दिया गया। उनको 14 जुलाई को ही प्रभारी निदेशक बनाया गया था। अब उनकी जगह उनसे कनीय अपर प्राध्यापक डॉक्टर जयति सिमलाई को प्रभारी बना दिया गया है। जबकि इस पद पर किसी प्राध्यापक को ही नियुक्त करने का नियम है। लेकिन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग झारखंड सरकार अपने ही नियमों की अनदेखी कर रहा है। स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव ललित मोहन शुक्ला के हस्ताक्षर से इस संबंध में एक अधिसूचना शुक्रवार को जारी की गई है। डॉक्टर अमूल रंजन सिंह विभागाध्यक्ष सह प्राध्यापक, क्लिनिकल साईकोलॉजी विभाग की सेवा उनके विभाग में वापस कर दी गई है। स्वास्थ्य मंत्री के गृह प्रवेश के दिन ही डॉक्टर जयति सिमलाई उनको शुभकामना देने पहुंचीं थीं। कांके प्रखंड कांग्रेस और झामुमो के वरीय नेता और पदाधिकारी विभागीय मंत्री एवं विभाग के इस निर्णय की खुलकर निंदा कर रहे हैं। वे इस निर्णय के विरोध में विभागीय मंत्री का पुतला दहन और जोरदार आंदोलन करने की तैयारी कर रहे हैं। बताते चलें कांग्रेस और झामुमो पार्टी ने डॉक्टर जयति सिमलाई के निदेशक रहते हुए सफाई और सुरक्षाकर्मियों को कम वेतन देने तथा मैनपावर बहाली में पैसे लेकर बहाली करने वाली एजेंसियों पर गड़बड़ी का खुलकर विरोध किया था तथा उनको पद से हटाने की मांग कर रहे थे। लेकिन डॉक्टर जयति सिमलाई को पुनः निदेशक का प्रभार देने से उनमें गहरा उबाल और आक्रोश है। बताते चलें ब्रेन हेमरेज होने के बाद चिकित्सकीय व्यस्तता एवं चार सितंबर को होने वाले संस्थान के शताब्दी वर्ष समारोह के आयोजन को देखते हुए डॉक्टर अमूल रंजन सिंह को निदेशक का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था। बताते चलें पिछले तीन साल में रिनपास में व्यापक घोटाला हुआ है। अत्यधिक ऊंची कीमत पर फर्नीचर, कंप्यूटर सहित अन्य सामग्रियों की खरीद मनमाने ढंग पर अपनी चहेती कंपनियों से की गई थी। इसमें बहुत सारे सामान का पता ही नहीं चल पा रहा है। इन गड़बड़ियों की सूचना डॉक्टर अमूल रंजन सिंह ने स्वास्थ्य विभाग को दे दिया था। ऐसे में जांच होने पर कई पदाधिकारी और कर्मी जेल की सलाखों के पीछे भी नजर आते। इस कारण आनन फानन में डॉक्टर अमूल रंजन सिंह को हटा दिया जाना बड़े सवाल खड़ा करता है। जबकि डॉक्टर जयति सिमलाई की नियुक्ति पर पहले से ही बड़ा सवाल खड़ा है। वे संस्थान के निदेशक के लिए आवश्यक अहर्ताएं भी पूरी नहीं करती हैं। ऐसे में उनपर मेहरबानी लोगों के मन में संशय खड़ा कर रहा है। बताते चले राज्य सरकार रिनपास में वर्ष 2007 से कोई स्थाई निदेशक नियुक्त नहीं कर सकी है।

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