GA4-314340326 जनजाति प्रतिरोध स्वतंत्रता आंदोलन का अभिन्न अंग: राज्यपाल

जनजाति प्रतिरोध स्वतंत्रता आंदोलन का अभिन्न अंग: राज्यपाल

रांची विश्वविद्यालय में 'जनजातीय गौरव दिवस' का भव्य आयोजन

दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन करते राज्यपाल।
कांके (रांची): रांची विश्वविद्यालय के दीक्षांत मंडप में विभिन्न जनजातीय संगठनों द्वारा जनजातीय गौरव दिवस आयोजन समिति के तत्वावधान में 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में बड़े उत्साह और सांस्कृतिक गरिमा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर जनजातीय लोककला, लोकनृत्य और पारंपरिक संगीत का आकर्षक प्रदर्शन किया गया। मुख्य अतिथि राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार, मुख्य वक्ता जनजाति सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक राजकिशोर हांसदा, और कार्यक्रम संयोजक जगलाल पाहन थे।

राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार द्वारा 15 नवंबर को राष्ट्रीय जनजाति गौरव दिवस घोषित करना, आने वाले वर्षों में देशवासियों के लिए प्रेरणा का काम करेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि जनजाति प्रतिरोध आंदोलन भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का एक अभिन्न अंग है।

राज्यपाल ने भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनका संघर्ष केवल जल, जंगल, जमीन तक सीमित नहीं था, बल्कि आदिवासी अस्मिता, संस्कृति, आस्था, परंपरा और स्वधर्म की स्थापना के साथ स्वराज प्राप्त करने का था। उन्होंने जनजातीय विरासत को सुरक्षित रखने और अगली पीढ़ियों तक पहुँचाने के महत्व पर बल दिया।

मुख्य वक्ता ने जताई चिंता

जनजाति सुरक्षा मंच के राजकिशोर हांसदा ने देश के लिए बलिदान देने वाले अनगिनत जनजातीय महापुरुषों को याद किया। उन्होंने वर्तमान में जनजातीय संस्कृति के समक्ष चुनौतियों जैसे धर्मांतरण, बांग्लादेशियों की अवैध घुसपैठ, और भूमि अधिग्रहण तथा विवाह संबंधों के दुरुपयोग से होने वाले राजनीतिक व आर्थिक लाभ पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने संपूर्ण सनातनी समाज से जनजातीय संस्कृति के संरक्षण का संकल्प लेने का आह्वान किया, जिसकी जड़ें सनातन संस्कृति से गहराई से जुड़ी हैं।

पाहन और मुखिया संघ का संकल्प

केंद्रीय पाहन जगलाल पाहन ने बिरसा मुंडा के साथ तिलका मांझी, बुधु भगत, सिद्धू-कान्हू जैसे अनगिनत जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को याद किया।

झारखंड प्रदेश मुखिया संघ के अध्यक्ष सोमा उराँव ने भगवान बिरसा मुंडा के पदचिह्नों पर चलते हुए धर्मांतरण न करने, बच्चों को शिक्षित करने, पारंपरिक पूजा पद्धति का सम्मान करने, नशा से दूर रहने और एकजुट रहने का संकल्प लिया।

 कार्यक्रम में उपस्थिति

इस कार्यक्रम में राज्यपाल के साथ राजकिशोर हांसदा, जगलाल पाहन, सोमा उराँव, सुदन मुंडा, तनुजा मुंडा सहित कई अन्य जनजातीय संगठनों के प्रतिनिधि मंचासीन रहे। कार्यक्रम का सफल संचालन सुशील मरांडी ने किया।

वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री भगवान सहाय और क्षेत्रीय संगठन मंत्री प्रफुल्ल अकांत सहित बड़ी संख्या में गणमान्य व्यक्ति और आमजन उपस्थित रहे।




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