GA4-314340326 बीज के मामले में झारखंड को आत्मनिर्भर बनाने के लिए समेकित प्रयास की जरुरत: डॉ एस सी दूबे

बीज के मामले में झारखंड को आत्मनिर्भर बनाने के लिए समेकित प्रयास की जरुरत: डॉ एस सी दूबे

फोटो: बीएयू में सीड काउंसिल की बैठक में पुस्तिका का विमोचन करते वीसी और अन्य अतिथिगण। KANKE NEWS,(RANCHI)। झारखंड राज्य को गुणवत्तायुक्त बीज के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, राज्य में अवस्थित आइसीएआर के संस्थानों तथा कृषि विभाग को मिलकर योजनाबद्ध ढंग से काम करना चाहिए I अच्छे बीज के इस्तेमाल से अन्य इनपुट समान रहने पर भी उत्पादन में 15- 20 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। यह बात बीएयू के कुलपति डॉ एससी दुबे ने सोमवार को विश्वविद्यालय के बीज परिषद् की 22 वीं बैठक को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि बीज खरीद में सरकारी और अर्ध सरकारी एजेंसियों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। वहीं सभी पौधा प्रजनन वैज्ञानिकों को देश में पिछले 10 वर्षों के अंदर जारी किये गये वैसे फसल प्रभेदों के बारे में पूरी जागरूकता रखनी चाहिए जो झारखंड के लिए उपयुक्त हैं। कृषि,पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के विशेष सचिव डॉ पीके हजारी ने कहा कि झारखंड में दलहन फसलों की उत्पादकता देश में सर्वाधिक है, किंतु उपज की गुणवत्ता में सुधार के लिए समुचित प्रयास की जरुरत है। उन्होंने कहा कि झारखंड को आम और अन्य फलों की सैपलिंग के मामले में आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास होना चाहिए। उन्होंने राज्य के शोध संस्थानों में इसे उगाने का प्रयास करने की बात कही। उन्होंने कहा कि सुविधासंपन्न आधुनिक सीड टेस्टिंग प्रयोगशाला के लिए राज्य सरकार शीघ्र ही बीएयू को आवश्यक राशि उपलब्ध कराएगी। इधर आइसीएआर के सीड डिवीज़न के प्रधान वैज्ञानिक डॉ पीआर चौधरी ने कहा कि झारखंड के लिए हाल में विभिन्न फसलों के 281 उन्नत प्रभेद जारी किये गए हैं, जो कम पानी, अधिक ताप, मृदा अम्लीयता और क्षारीयता की स्थिति में भी अच्छी उपज दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि बीज प्रतिस्थापन में पिछले पांच वर्षों में जारी किये गए प्रभेदों का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए। स्वागत भाषण करते हुए बीएयू के निदेशक, बीज एवं प्रक्षेत्र डॉ शम्भूनाथ कर्मकार ने कहा कि वर्ष 2024-25 में विभिन्न अनाज, दलहन एवं तेलहन फसलों के कुल 5785 क्विंटल प्रजनक बीज, आधार बीज, प्रमाणित बीज और सत्य प्रमाणित बीज बीएयू द्वारा पैदा किये गए। इनमें राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत पैदा किये गए दलहनी फसलों का क्विंटल बीज 1372 शामिल हैं। इसी प्रकार वर्ष 2025-26 के दौरान खरीफ में 209 हेक्टेयर का आच्छादन करते हुए 4063 क्विंटल तथा रबी में 111 हेक्टेयर में 1196 क्विंटल बीज पैदा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस अवसर पर निदेशक अनुसंधान डॉ पीके सिंह, आनुवंशिकी एवं पौधा प्रजनन विभाग की अध्यक्ष डॉ मणिगोपा चक्रवर्ती, कृषि उप निदेशक कंचन कुमारी तथा प्रगतिशील किसानों ने भी अपने विचार व्यक्त किये। तीन क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्रों तथा 16 कृषि विज्ञान केन्द्रों के प्रमुखों ने अपने-अपने केन्द्रों पर बीज उत्पादन कार्यक्रम की प्रगति तथा वर्ष 2025-26 की कार्ययोजना की रूपरेखा प्रस्तुत की। डॉ आरपी मांझी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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