दुमका में झारखंड सहकारिता बैंक के प्रबंध निदेशक रहते हुए 11.31 लाख रुपये का अधिक भुगतान
DKS / Ranchi : झारखंड के सहकारिता विभाग के संयुक्त निबंधक कामदेव दास के खिलाफ 11 वर्ष बाद भी विभागीय कार्रवाई पूरी नहीं हो पायी है। 2014 में दुमका के केंद्रीय सहकारिता बैंक के प्रबंध निदेशक रहते हुए इन्होने एग्रीकलचरल इंश्यूरेंस फायनांसियल कारपोरेशन को अधिक भुगतान कर दिया। जांच में पाये गये दोषी पर अपने स्पष्टीकरण में कहा कि मैने कुछ नहीं किया कृषि विभाग के पूर्व सचिव रहे IAS अधिकारी आरएस पोद्दार, अरुण सिंह, राजबाला वर्मा और शीला किस्कू रपाज ने करवाई सारी गड़बडियां। इसकी वजह से ये आजकल काफी सूर्खियों में हैं . इस अफसर के नाम और काम दोनों चर्चे में हैं। सहकारिता विभाग में इनसे कोई खुश नहीं है, इसकी वजह भी ये खूद हैं। दुमका में सहकारिता बैंक के प्रबंध निदेशक रहते हुए 11.31 लाख रूपये का अधिक भुगतान एग्रीकलचरल इंश्यूरेंस को कर दिया। वित्तीय अनियमितता का मामला आज भी क्लोज नहीं हुआ है। सत्ता के गलियारे में चर्चा है कि इस रसूखदार ने अपनी जांच से जुडी फाईल गायब करा दी है। हाईकोर्ट में राशि की वसूली का मामला विचाराधीन है। उन्होंने एंटीसिपेटरी बेल के लिये आवेदन भी दिया था। यह कहते हुए कि अगली सुनवाई के बाद ज़मानत की वैधता नहीं रहेगी। आरोप मुक्त भी नहीं हुए हैं, पर जिला सहकारिता पदाधिकारी से संयुक्त निबंधक बन गये हैं। रांची में छह साल से ज़मे हुए हैं।
2014 में शुरू हुई थी जांच
कामदेव दास के खिलाफ 2014 के दिसंबर में शुरू हुई थी जांच। जांच को लेकर वरिष्ठ IAS अधिकारी और दाक्षिण छोटानागपुर की आयुक्त शीला किस्कू रपाज को कार्रवाई करने के लिये संचालन पदाधिकारी बनाया गया था। इन्हें जो जवाब सन्युक्त निदेशक ने भेजा, उस से जांच अधिकारी संतुष्ट नहीं हुई और कहा की लगाये गये आरोप प्रमाणित होते हैं। कामदेव दास ने अपने कर्तवयों का सही तरीके से अनुपालन नहीं किया. वित्तीय अनीयमितता भी की। इतना ही नहीं इन पर अपने अधीन कर्मियों पर नियंत्रण नहीं रखने की बातें भी पुष्ट हुई। हद तो तब हो गई, ज़िसमें यह कहा गया कि विभाग के सचिव रहे IAS अधिकारियों की लापरवाही से अधिक भुगतान कर दिया गया। अपने ऊपर लगे आरोपों को ज़िस तरह इन्होने दूसरे पर थोपने की कोशिश है, वह एक नयी दिशा दिखा रहा है।
चतरा में बीज घोटाले में फंसे
कामदेव दास जब चतरा में DCO थे, तो बीज घोटाले में फंसे तो पता चला कि आठ से अधिक पैक्स अध्यक्षों पर बीज खरीदने की बातें कह दी। पूछने पर साफगोई से कहा कि मैं तो बेकसूर हूं। सारी गलती पैक्स अध्यक्षों ने की। ऊन पर कार्रवाई भी हुई। पर अपने को बचा लिया। बताया जाता है कि निगरानी यानी ACB में इनका एक कृपा पात्र है, जो इनकी फाइल को समय पड़ने पर दबा देते हैं। विभाग में इनसे कोई खुश भी नहीं रहता है। ये छह वर्षों से रांची में ज़मे हैं पर दूसरे लोगों के लिये तीन वर्षों में ही तबादला हो जाता है।
मैने कुछ नहीं किया, कोर्ट में मामला पेंडिंग है : दास
संयुक्त निबंधक कामदेव दास ने पूछे जाने पर कहा कि उन्होने कुछ नहीं किया। उनके खिलाफ जांच ठीक तरीके से संचालित नहीं हुई। जब उनसे यह पूछा गया कि जब आरोप मुक्त हो गये हैं, तो दस्तावेज दिजिये, तो उन्होने कागजात उपलब्ध नहीं कराया।
Name Kamdev Das, Position Joint Registrar in Cooperative Department Jharkhand, Charge Financial Irregularity, Read the full case
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