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किनारे लगाया गया बोटा |
क्या है मामला.
पिछले दो माह से भी अधिक समय से अनगड़ा-लोवाडीह फोरलेन रोड के किनारे जगह जगह पर पेड़ को काटकर ऐसे ही छोड़ दिया गया। पेड़ को बोटा के रूप में काटा गया। इसी बीच कतिपय कारणों से टीपी(ट्रांजिट परमिट) नही मिलने से एक हजार से अधिक पेड़ों के बोटा को रोड के “किनारे” कर दिया गया। जबकी नियमत: पेड पातन(काटना) के बाद ही उसे हेसल या महिलौंग वनविभाग के डीपों में जमा कराना होता है। लेकिन यहां ऐसा नही हुआ। वनविभाग व सड़क निर्माण कंपनी की लापरवाही से धीरे धीरे किनारे लगाए गए बोटा गायब होता रहा। ग्रामीण व अन्य बोटा को ले गए। ज्ञात हो कि सड़क निर्माण के लिए अनगड़ा से लोवाडीह तक करीब 33 सौ पेड़ का पातन किया गया। जिसमें से अभी तक लगभग दो हजार पेड़ का ही बोटा वनविभाग को जमा कराया गया। शेष अभी भी रोड किनारे पड़ा हुआ है।
वन विभाग व सड़क निर्माण कंपनी लगा रहे एक दूसरे पर आरोप
रोड निर्माण कंपनी के पेड़ पातन से जुड़े मुकेश ने बताया कि दो माह से टीपी के लिए आनलाइन आवेदन कतिपय कारणों से नही हो रहा था। टीपी नही मिल रहा था। जिस कारण सड़क निर्माण के लिए काटे गए लकड़ी के बोटा को किनारे लगा दिया गया। इसी बीच महिलोंग रेंजर सेवानिवृत हो गए जिस कारण टीपी लेने में और परेशानी हुई। एक सप्ताह से टीपी मिलना शुरू हो गया है, जिससे बोटा का उठाव भी शुरू हो गया। एक भी बोटा गायब नही हुआ है कुछ जलावन जरूर ग्रामीण ले गए है। जबकी अनगड़ा के प्रभारी वनपाल नितिन गुप्ता ने बताया कि करीब पचास पेड़ को छोड़कर अधिकांश पेड़ों का पातन कर लिया गया है। लेकिन अभी तक हेसल व महिलौंग वनविभाग के डीपो में दो हजार के करीब ही काटे गए पेड़ का बोटा जमा किया गया है। पिछले दो ढाई माह से सड़क निर्माण कंपनी के द्वारा टीपी के लिए आवेदन ही नही किया जा रहा है। सड़क निर्माण कंपनी की लापरवाही के कारण ही कीमती बोटा को बगैर किसी सुरक्षा के किनारे कर दिया गया।
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