GA4-314340326 कम मजदूरी भुगतान के लिए एसआईएस व बीएयू से होगी एक करोड़ 88 लाख की वसूली, राज्य में बड़े पैमाने पर एजेंसियां कर रहीं हैं गड़बड़ी

कम मजदूरी भुगतान के लिए एसआईएस व बीएयू से होगी एक करोड़ 88 लाख की वसूली, राज्य में बड़े पैमाने पर एजेंसियां कर रहीं हैं गड़बड़ी

कांके, (रांची)। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) में निजी सुरक्षाकर्मियों को झारखंड सरकार के द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी से कम राशि का भुगतान करना सिक्योरिटी एंड इंटेलीजेंस सर्विसेज (इंडिया) लिमिटेड ( एसआईएस) एजेंसी और प्रधान नियोक्ता बीएयू को भारी पड़ गया है। अब इन दोनों से लगभग एक करोड़ 88 लाख की राशि की वसूली की जाएगी। न्यायालय उप श्रमायुक्त सह नियंत्री प्राधिकार, रांची ने जिला निलाम पत्र पदाधिकारी, रांची को उक्त राशि की वसूली की कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। बताते चले बीएयू के आठ निजी सुरक्षाकर्मियों ने अप श्रमायुक्त सह प्राधिकार न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948, कार्यालय श्रम भवन डोरंडा रांची में वाद संख्या 63/2023 दर्ज कराया था। इसमें निजी सुरक्षाकर्मियों ने आरोप लगाया था कि वर्ष 2011 से 2022 तक उन्होंने बीएयू में एसआईएस एजेंसी के तहत कार्य किया। लेकिन उनको इस दौरान एजेंसी ने सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी से काफी कम लगभग आधी राशि का ही भुगतान किया था। इस दौरान साप्ताहिक अवकाश भी नहीं दिया गया। तीनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय उप श्रमायुक्त ने एसआईएस पर पांच गुणा मुआवजा राशि का दंड लगाते हुए भुगतान का निर्देश 30 नवंबर 2024 को ही दिया था। इसका अनुपालन 60 दिनों में ही किया जाना था। किंतु एजेंसी ने अभी तक भुगतान नहीं किया है। वहीं प्रधान नियोक्ता होने के बावजूद बीएयू प्रशासन इस गड़बड़ी को समय रहते नहीं रोक पाई। इसको लेकर अब एसआईएस के साथ बीएयू को भी इसकी भरपाई करनी होगी। यह राशि कई करोड़ में भी हो सकती है यदि अन्य लगभग 100 सुरक्षा कर्मी भी इसको लेकर न्यायालय की शरण में चले जाएं। अभी तक वे सभी भयवश चुपचाप बैठें थे, लेकिन इस आदेश ने सबमें उम्मीद की लौ जगा दिया है। बताते चलें झामुमो नेता सोनू मुंडा तथा कांके प्रखंड झामुमो अध्यक्ष नवीन तिर्की ने बीएयू प्रशासन को एक पत्र देकर एसआईएस को वर्तमान एजेंसी चयन प्रक्रिया से बाहर करने का आग्रह किया है। उन दोनों ने कहा कि अकेले बीएयू में एसआईएस ने सैकड़ों निजी सुरक्षाकर्मियों को ठगने का कार्य किया है। कहा कि इस एजेंसी ने रिनपास तथा सीआईपी में भी न्यूनतम मजदूरी का भुगतान नहीं कर सैकड़ों निजी सुरक्षाकर्मियों को लूटा है। उनको ईपीएफ, बोनस राशि तथा न्यूनतम मजदूरी का भुगतान नहीं कर करोड़ों का घोटाला किया है। आरोप लगाया कि इतनी बड़ी गड़बड़ी के बावजूद एक पार्टी विशेष के बड़े नेता से जुड़े होने के कारण उसपर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। अभी तक ऐसी एजेंसी को राज्य में कार्य करने से अविलंब रोक देना चाहिए। बताते चलें निजी सुरक्षाकर्मियों और सफाईकर्मियों को न्यूनतम मजदूरी, बोनस आदि नहीं देने वाली एजेंसियों की लंबी फेहरिस्त है। किंतु उनको प्रतिबंधित करने या काली सूची में डालने में केंद्र और राज्य दोनों सरकार के विभिन्न विभाग और कार्यालय पीछे हैं। बीएयू में समानता सिक्योरिटी एजेंसी ने भी 2023 से 2024 तक जमकर धांधली की थी। बीएयू के वर्तमान वीसी डॉ सुनील चंद्र दुबे ने इसपर कड़ी कार्रवाई करते हुए उसको टेंडर प्रक्रिया में भाग लेने से प्रतिबंधित कर दिया है। इधर रिनपास में भी इसी एजेंसी ने व्यापक गड़बड़ी की है। लेकिन उसपर तत्कालीन सिक्योरिटी प्रभारी तथा निदेशक का संरक्षण होने के कारण उसपर कोई कार्रवाई नहीं की गई। उल्टे अपने अधिकार की मांग करने वाले सुपरवाइजर और गार्ड्स को धमकाया गया कि वे मुंह बंद रखें अन्यथा नौकरी से हटा दिया जाएगा। बताते चलें टेंडर की शर्तों में एजेंसी से एक शपथपत्र मांगा जाता है कि उनके ऊपर कहीं प्रतिबंध तो नहीं है। लेकिन अधिकांश एजेंसियां इसको छिपा कर टेंडर प्रक्रिया में भाग लेती हैं। अभी रायडर सिक्योरिटी को जेम पोर्टल जो सरकारी एजेंसी है पर वर्ष 2026 तक निलंबित कर दिया गया है। किंतु वह भी इस तथ्य को छिपाकर बेखौफ होकर इस प्रक्रिया में भाग ले रहा है। एक अन्य एजेंसी जो स्वयं को प्रोपराइटरशिप से पार्टनरशीप फर्म में बदलने का दावा करती है। उसके पास आज भी दो अलग- अलग पैन कार्ड तथा जीएसटी नंबर हैं, जिससे एक ही समय पर ट्रांजैक्शन भी हो रहे हैं। इस तरह टेंडर जारी करने वाले विभाग यदि पूरी ईमानदारी से भाग लेने वाली एजेंसियों की पड़ताल करें तो धोखा देने वाले एजेंसीज को चिन्हित करना कठिन नहीं होगा तथा उनके अंतर्गत कार्य करने वाले लोग ठगी का शिकार होने से बच जायेंगे। राज्य सरकार श्रमायुक्त के यहां से राहत का आदेश पारित हुआ है। लेकिन केंद्रीय श्रमायुक्त कार्यालय में सुरक्षाकर्मियों के वाद लंबित पड़े हैं। वहां की रफ्तार काफी धीमी है। इस पर भी ध्यान दिए जाने की जरूरत है तभी नए श्रम कानून संशोधनों को धरातल पर उतरा जा सकेगा।

Post a Comment

please do not enter any spam link in the comment box.

और नया पुराने