फोटो : राष्ट्रीय कार्यशाला में शामिल मुख्य अतिथि रिनपास निदेशक डॉ अमूल रंजन सिंह एवं सीआईपी निदेशक डॉ वीके चौधरी एवं अन्य। (KANKE NEWS, RANCHI)। नशे की बढ़ती लत एक बड़ी सामाजिक और चिकित्सकीय चुनौती बन गई है। इसके सही प्रबंधन के लिए बेहतर प्रशिक्षण प्राप्त प्रोफेशनल्स की नितांत आवश्यकता है। ये बातें रिनपास निदेशक डॉ. अमूल रंजन सिंह ने शनिवार को सीआईपी में एडिक्शन मैनेजमेंट पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में कही। कहा कि इससे निपटने के लिए बेहद संरचनात्मक और कौशल आधारित उपाय ही सहायक होंगे। इस कार्यशाला में व्यसन प्रबंधन में नवाचारों पर जोर दिया गया। इसका आयोजन क्लिनिकल साईकोलॉजी विभाग सीआईपी द्वारा किया गया। इस आरसीआई सीआरई मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन सोसाइटी फॉर एडिक्शन साइकोलॉजी के सहयोग से किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य व्यसन प्रबंधन के क्षेत्र में नवीनतम विकास एवं साक्ष्य-आधारित उपायों पर चर्चा हेतु विशेषज्ञों को एक साझा मंच प्रदान करना था। उद्घाटन सत्र का शुभारंभ सीआईपी निदेशक डॉ. विजय कुमार चौधरी के स्वागत भाषण से हुई। इसके बाद डॉ. निशांत गोयल, प्रोफेसर मनोरोग विभाग सह अकादमिक प्रभारी, सीआईपी, डॉ. नवीन ग्रोवर, सहायक प्रोफेसर, क्लिनिकल मनोविज्ञान, आईएचबीएएस, नई दिल्ली सह जर्नल ऑफ सोसाइटी फॉर एडिक्शन साइकोलॉजी के प्रधान संपादक तथा डॉ. महाश्वेता भट्टाचार्य, सहायक प्रोफेसर, क्लिनिकल मनोविज्ञान एवं आरसीआई समन्वयक, सीआईपी द्वारा अपने विचार रखे गए। वहीं कार्यशाला के पहले दिन के वैज्ञानिक सत्रों में डॉ. शुभव्रत पोद्दार, सहायक प्रोफेसर, एप्लाइड साइकोलॉजी, काज़ी नजरुल विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल द्वारा "व्यक्तित्व और व्यसन", प्रो. (डॉ.) संजय कुमार मुंडा, प्रोफेसर, मनोरोग विभाग, सीआईपी द्वारा "डिस सोशल पर्सनैलिटी", प्रो. गौरी शंकर कलोइया, प्रोफेसर, क्लिनिकल मनोविज्ञान, एनडीडीटीसी, एम्स, नई दिल्ली द्वारा "मोटिवेशनल इंटरव्यूइंग", तथा डॉ. सादिक, सहायक प्रोफेसर, क्लिनिकल मनोविज्ञान, सीआईपी द्वारा "संक्षिप्त हस्तक्षेप" विषयों पर जानकारी दी गईं। दूसरे दिन डॉ. नवीन ग्रोवर द्वारा "रिलैप्स प्रिवेंशन हेतु संज्ञानात्मक व्यवहारिक चिकित्सा", डॉ. महाश्वेता भट्टाचार्य द्वारा "व्यसन में संज्ञानात्मक कमियाँ", प्रो. (डॉ.) सौरव खानरा, प्रोफेसर, मनोरोग विभाग, सीआईपी द्वारा "व्यावहारिक व्यसन", डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव, सहायक प्रोफेसर, मनोरोग सामाजिक कार्य, सीआईपी द्वारा "सामाजिक-सांस्कृतिक दृष्टिकोण", तथा डॉ. सेंथिल एम, सहायक प्रोफेसर, मनोरोग सामाजिक कार्य, सीआईपी द्वारा "परिवार आधारित हस्तक्षेप" विषयों पर अलग अलग सत्र में जानकारी दी गई। धन्यवाद ज्ञापन चांदनी मिश्रा, सहायक प्रोफेसर, क्लिनिकल मनोविज्ञान, द्वारा किया गया। इस कार्यशाला की अध्यक्षता अस्सिटेंट प्रोफेसर अलीशा अरोड़ा, क्लिनिकल मनोविज्ञान ने की। इस कार्यशाला में देशभर से आए मानसिक स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं छात्रों ने भाग लिया तथा व्यसन मनोविज्ञान के क्षेत्र में वर्तमान चुनौतियों एवं समाधानों पर गहन विचार-विमर्श किया गया।
सीआईपी में एडिक्शन मैनेजमेंट पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला संपन्न
Kanke
0
Tags
Kanke News
إرسال تعليق
please do not enter any spam link in the comment box.