GA4-314340326 आजादी के बाद पहली बार वनबरवाडीह गांव तक बनेगी पहुंच पथ, सुदेश का हुआ भव्य स्वागत

आजादी के बाद पहली बार वनबरवाडीह गांव तक बनेगी पहुंच पथ, सुदेश का हुआ भव्य स्वागत

angara(ranchi) आजादी के बाद पहली बार वनबरवाडीह गांव में पक्की सड़क बनेगी। विधायक सुदेश कुमार महतो की पहल पर गांव तक पहुंचने के लिए 1200 फीट पीसीसी पथ का निर्माण कराया जा रहा है। पीसीसी पथ का शिलान्यास करने गांव पहुंचे सुदेश महतो का ग्रामीणों ने भव्य स्वागत किया। पहली बार कोई जनप्रतिनिधि इस गांव तक पहुंचा है। शत प्रतिशत उरांव जनजाति वाले इस गांव में अभी तक कोई पहुंच पथ नही था। सुदेश ने ग्रामीणों से संवाद किया, उनकी समस्याओं को सुना, ग्रामीणों ने यहां सोलर आधारित लाईट लगवाने सहित अन्य मांग रखा। 

मौके पर सुदेश ने ग्रामीणों के साथ पोर्टेबल सोलर पानी पंप का डेमो देखा। कहा कि अगर यह सफल रहा तो कृषि के क्षेत्र में क्रांति आयेगी। पूरे विस में इसे लागू किया जाएगा। मौके पर जिप सदस्य राजेन्द्र शाही मुंडा, मुखिया सुमित्रा देवी, प्रधानाध्यापक दिलीप कुमार, मो मुख्तार, धन्यजय महतो, मो रिजवान, सीताराम साहू, सूरज साहू, परमेश्वर मालाकार, शिवशंकर मुंडा, रामविलास शर्मा, अमर सिंह मुंडा, प्रदीप महतो, अंजू कुमारी, घासनी देवी, अजय कुमार, लखीचरण बेदिया, भोलानाथ बेदिया, बबलू, दीनदयाल बेदिया सहित अन्य उपस्थित थे।  

सुदेश कुमार महतो ने मध्य विद्यालय जोन्हा व उत्क्रमित उच्च विद्यालय टाटी सिंगारी में विद्यार्थियों, अभिभावकों व शिक्षकों के साथ भी संवाद किया। विधायक ने यहां उपलब्ध सरकारी सुविधाओं, शिक्षकों व विद्यार्थियों की उपस्थिति, मुलभुत सुविधाओं, शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक गतिविधियों में ग्रामीणों की भूमिका सहित अन्य जानकारियां प्राप्त किया। सुदेश ने कहा कि सिल्ली विधानसभा क्षेत्र को शिक्षा के क्षेत्र में अलग पहचान देने की प्रयास है, यहां के प्रतिभावान विद्यार्थियों को निखारने के लिए कई पायलट प्रोजेक्ट पर काम चल रहे है. स्मार्ट क्लास, आईसीटी लैब से लेकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को अनिवार्य बनाने का काम किया जा रहा है। बच्चें देश के भविष्य है, उन्हें गढ़ने की जिम्मेदारी हम सभी की है, बच्चों को गुणवत्तापुर्ण शिक्षा मिले इसके लिए लगातार क्षेत्र के विद्यालयों में संसाधन उपलब्ध कराया जा रहा। वहीं ग्रामीणों से स्कूलों के मॉनिटरिंग करने का आग्रह किया। बैठक उपस्थित सभी अभिभावकों से बच्चों के कॉपी किताब प्रतिदिन देखने व बच्चों को नियमित निर्धारित पोशाक में स्कूल भेजने की अपील की गई।             

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